मुंबई : केंद्र सरकार ने भीमा कोरेगांव मामले की जांच एनआइए को सौप दी है. जिसके बाद अब इस मामले को लेकर एनआईए पुरे मामले की जाँच करने जा रहा है. केंद्र के इस फैसले के बाद महाराष्ट्र की राज्य सरकार ने इसका विरोध कर दिया है. राज्य सरकार का कहना है की यह फैसला उनसे पूछे बिना ही किया गया है जो की सम्विधान के खिलाफ है.
इया मामले को लेकर अब महाराष्ट्र सरकार और केंद्र के बीच रस्साकसी की स्तिथि बन गई है. एक और केंद्र सरकार निष्पक्षता का हवाला दे कर इस मामले को एनआईए को सौपना चाहता है तो वही राज्य की शिवसेना गठबंधन सरकार इस फैसले का विरोध कर रही है. इस मामले पर महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने कहा कि इस बारे में राज्य सरकार से पूछा तक नहीं गया. उन्होंने ट्वीट किया कि जब राज्य सरकार इस मामले की तह में जा रही थी, तब ये फ़ैसला किया गया.
बतादें 1 जनवरी, 2018 को पुणे के भीमा-कोरेगांव में हिंसा हुई थी. दलित समुदाय के लोग 250 साल पहले हुई दलितों और मराठाओं के बीच हुई लड़ाई में दलितों की जीत का जश्न मनाने के लिए वहां हर साल इकट्ठा होते हैं. पुलिस का आरोप था कि कार्यक्रम के आयोजकों के नक्सलियों से संबंध थे.