धरसींवा जनपद सदस्यों ने शंका व्यक्त करते हुए सरकार से पूछा : क्या राज्य सरकार गौठानों में पशुओं को रखने से मना कर अपनी रोका-छेका योजना बंद करने जा रही है?
: क्या सरकार ने अधिकारियों, सीईओ और पंचायतों को इस बारे में मौखिक आदेश दिया?*
रायपुर। धरसीवां जनपद सदस्यों ने प्रदेश सरकार की दम तोड़ती योजनाओं पर कटाक्ष कर जानना चाहा है कि क्या राज्य सरकार अपनी रोका-छेका योजना बंद करने जा रही है? बिना सोचे-विचारे केवल राजनीतिक शिगूफ़ेबाजी से प्रेरित योजनाओं का आख़िरकार यही हश्र होना था। नरवा-गरुवा-घुरवा-बारी और गौठानों का शोर मचाने के बाद अब रोका-छेका योजनाओं की दुर्गति भी सामने आ गई है। उन्होंने ने कहा कि प्रदेश सरकार शुरू से ही नीयत, नीति और नेतृत्व के संकट से गुज़र रही है और इसलिए उसकी सारी योजनाएँ एक-एक करके अंतत: नाकामी की क़ील ठोक रही हैं।
जनपद सदस्य ने प्रदेश सरकार से सवाल किया है कि क्या वह यह मान रही है कि उसकी रोका-छेका योजना विफल हो गई है और क्या अधिकारियों को इस योजना पर आगे काम करने से मौखिक तौर पर मना कर दिया गया है? श्री गणेश ने कहा कि प्रदेश सरकार ने हाल ही शुरू की गई इस योजना पर काम करने से मौखिक तौर पर मना कर दिया है। सड़क हादसों और गौठानों में पशुधन की हो रही अकाल मौतों ने जन-संवेदनाओं को झकझोरकर रख दिया था। सरकार की इस योजना का यह क्रूर पक्ष फिर से सामने न आए, इसलिए द्वारा इस योजना पर काम बंद करने के लिए कहे जाने की जानकारी मिली है। अधिकारियों ने सभी सीईओ को और सीईओ ने सभी पंचायतों को मौखिक तौर पर यह फरमान भेजा है कि चूँकि गौठानों में व्यवस्था नहीं बनाई जा सक रही है, इसलिए रोका-छेका योजना के तहत पशुधन को गौठानों में अब न रखा जाए।
धरसींवा जनपद सदस्यों ने कहा कि प्रदेश सरकार अपनी नाकामियों, दग़ाबाजी और वादाख़िलाफ़ी पर पर्दा डालने की कोशिशों में मनमानी घोषणाएँ करती जा रही हैं और उसे यह भी देखने-समझने की ज़रूरत महसूस नहीं हो रही है कि इन योजनाओं पर क्रियान्वयन आख़िर होगा कैसे? इन योजनाओं के लिए फंडिंग कहाँ से होगी, इस योजना पर काम कैसे होगा, इन सवालों का ज़वाब तक देने की स्थिति में सरकार नहीं है! अपनी गौ-धन न्याय योजना का भी वही हश्र होते देखेगी जो उसकी दीग़र योजनाओं का हुआ है और हो रहा है।