समाजसेवी और राजनीतिक विश्लेषक प्रकाशपुन्ज पाण्डेय ने मीडिया के माध्यम से देश की मौजूदा स्थिति को देखते हुए देश की जनता से सीधा प्रश्न किया है कि जब देश में जनता परेशान है तो आख़िर ये देश के अच्छे दिन कैसे और नरेंद्र मोदी सर्वश्रेष्ठ प्रधानमंत्री कैसे? ऐसा इसलिए क्योंकि देश में 2012 से ही एक माहौल तैयार किया गया था कि भारत में बेरोजगारी और महंगाई चरम सीमा पर है, भ्रष्टाचार की जड़ों ने भारत के संघीय ढांचे को पूरी तरह से जकड़ा हुआ है। लोगों को बोलने की आजादी नहीं है। आंदोलनों को तत्कालीन सरकारों द्वारा कुचला जाता था आदि। परिणामस्वरूप 2014 में लोगों ने उपरोक्त सभी बातों को ध्यान में रखते हुए एक बड़ा सत्ता परिवर्तन किया जो ऐतिहासिक था। देश के नए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को संबोधित करते हुए कहा कि अच्छे दिन आ गए। उन्होंने मीडिया के माध्यम से देश की जनता के समक्ष अपनी छवि एक साधारण, ईमानदार, सरल और सहज व्यक्ति की प्रस्तुत की। उस पर भी लोगों ने यकीन किया। लेकिन समय गुजरने के साथ साथ ये यकीन तो नहीं बदला हालांकि देश जरूर बदल गया। लेकिन ये बदलाव सकारात्मक नहीं बल्कि नकारात्मक है। आज देश में बेरोजगारी, गरीबी, महंगाई, अपराध, भ्रष्टाचार और नफरत आदि अपनी चरम सीमा पर है लेकिन देश की जनता आपस में ही बंटी हुई नजर आ रही है। देश में जो केंद्र सरकार से सवाल करे या जो उनकी गलत नीतियों का विरोध करे उसे देशद्रोही करार दिया जाता है और जो चाटुकारिता करे वो देशभक्त! क्या ऐसे ही राष्ट्र की कल्पना हमारे स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों और महात्मा गाँधी जी ने की थी? क्या जिन महान विभूतियों ने अपनी आहुति भारत को स्वतंत्र बनाने के लिए दी थी उन्होंने ऐसे ही आजाद भारत की परिकल्पना की होगी जहाँ देशवासी आपस में लड़ाई-झगड़ा करें? क्या आज मीडिया का नाम जिस प्रकार धूमिल हो गया है वो सही है?
प्रकाशपुन्ज पाण्डेय ने कहा कि लोकतांत्रिक देशों की कतार में भारत सबसे बड़ा लोकतांत्रिक ,समृद्ध लोकव्यवस्था, धर्मनिर्पेक्षता, व बहुसांस्कृतिकता को समेटे हुए एक अकेला ही देश है। इसी लोकतंत्र को बनाए रखने के लिए चार मजबूत स्तंभों को निर्मित किया गया, न्यायपालिका, कार्यपालिका, विधायका और मीडिया। लेकिन क्या ये चारों आज के समय निष्पक्ष हैं? ये फ़ैसला जनता करे और अगर जवाब में ये चारों स्तंभ कमजोर पाए जाते हैं तो फिर देश में अच्छे दिन कैसे? नरेंद्र मोदी सर्वश्रेष्ठ प्रधानमंत्री कैसे? सोचिए क्योंकि विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र को बचाने और मजबूत करने की जिम्मेदारी प्रत्येक भारतीय की है। देश है तो हम हैं।
प्रकाशपुन्ज पाण्डेय, रायपुर, छत्तीसगढ़ ।
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