जल विज्ञान से जुड़े आकड़ों के सटीक संग्रहण, विश्लेषण एवं उपलब्ध जल के सर्वाेत्तम उपयोग का दिया जा रहा है प्रशिक्षण कार्यक्रम,,,हाइड्रोलॉजिकल मॉडलिंग इन वाटर मैनेजमेंट विषय पर चार दिवसीय प्रशिक्षण शुरू

रायपुर, 08 दिसम्बर 2021/राष्ट्रीय जल विज्ञान परियोजना के अंतर्गत हाइड्रोलॉजिकल मॉडलिंग इन वाटर रिसोर्स मैनेजमेंट विषय पर जल संसाधन विभाग के अभियंताओं को आज 8 दिसम्बर से चार दिवसीय प्रशिक्षण दिए जाने की शुरूआत हुई। रायपुर के जल संसाधन स्टेट डाटा सेंटर में आयोजित इस चार दिवसीय प्रशिक्षण का शुभारंभ सचिव जल संसाधन श्री अन्बलगन पी. ने किया। यह प्रशिक्षण नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइड्रोलॉजी सड़की एवं सी आई एच आर सी भोपाल तथा जल संसाधन विभाग छत्तीसगढ द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया जा रहा है। इस अवसर पर राष्ट्रीय हाइड्रोलॉजी संस्थान के वैज्ञानिक एवं इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के प्रशिक्षणकर्ता श्री रवि गलकाटे एवं डॉ. राहुल जायसवाल, एन.आई.टी रायपुर के सहायक प्राध्यापक श्री इश्तियाक अहमद एवं इंदिरा गांधी विश्व विद्यालय रायपुर के प्राध्यापक श्री सुरेन्द्र चण्डी उपस्थित थे।

ज्ञातव्य है कि जल शक्ति मंत्रालय भारत सरकार के राष्ट्रीय हाइड्रोलॉजी प्रोजेक्ट के तृतीय चरण (2016-2024) का क्रियान्यवन छत्तीसगढ़ राज्य में भी किया जा रहा है। यह विश्व बैंक द्वारा शत प्रतिशत पोषित परियोजना है। इस परियोजना के सफल क्रियान्वयन की दिशा में जल विज्ञान से जुड़े आकड़ों के सटीक संग्रहण, विश्लेषण तथा विभिन्न साफ्टवेयर की मदद से हाइड्रोलॉजी मॉडलिंग करने हेतु अधिकारियों को प्रशिक्षित किया जा रहा है।

वर्तमान समय में सिंचाई घरेलू एवं औद्योगिक उपयोग हेतु जल की बढ़ती मांग के कारण जल संसाधनों पर प्रभाव के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन के कारण भी जल की मांग एवं आपूर्ति में काफी अंतर की स्थिति बनी है। जल संसाधनों के इष्टतम उपयोग हेतु जल विभाजक क्षेत्र में उत्पन्न होने वाले प्रवाह भूमिगत जल एवं इसके वितरण का ज्ञान होना आवश्यक है। जल संसाधन की विभिन्न परियोजनाओं के निर्माण में भी जल की मात्रा का निर्धारण एक आवश्यक प्रक्रिया है।

वर्तमान में जल की उपलब्धता हेतु गेज डिस्चार्ज स्टेशन से प्राप्त आंकड़ों पर निर्भर होना पड़ता है, जो सभी स्थानों पर समय नहीं है। जलविज्ञानीय मॉडलिंग द्वारा हम क्षेत्र में किसी भी स्थान पर बहुत कम आंकड़ों द्वारा जल की उपलब्धता तथा उस पर विभिन्न कारकों जैसे जलवायु परिवर्तन लेडयूज परिवर्तन का प्रभाव जाना जा सकता है। वर्तमान प्रशिक्षण कार्यक्रम में जल विज्ञानीय आकड़ों का अध्ययन विश्लेषण जलविज्ञानीय मॉडलिंग एससीएस-सीएन, यूनिट हाइड्रोग्राफ एसडब्ल्यूएटी, एनएएम, एचईसी-एचईएस मॉडल तथा बाद आने पर जल का फैलाव हेतु एचईसी-आरएस मॉडल तथा भू गर्मीय जल की मांग उपलब्धता, मॉडलिंग एक ओपन सोर्स तथा रिमोट सेंसिंग आकड़ों के रिपोर्ट पर चर्चा की जायेगी। वर्तमान में ओपन सोर्स आकडे की उपलब्धता काफी व्यापक है तथा इसके उपयोग द्वारा हम अपने संसाधनों का बेहतर प्रबंधन कर सकते हैं। जल विज्ञानीय अध्ययनों में डिसीजन सपोर्ट के द्वारा पूर्व में भी विभिन्न प्रक्रियाओं जैसे की सिंचाई प्रणाली में सुधार फसल प्रकार में बदलाव जलवायु परिवर्तन तथा कन्जक्टिव उपयोग के प्रभावों का अध्ययन किया जा सकता है।

यह देशव्यापी राष्ट्रीय योजना है। परियोजना के अंतर्गत आरटीडीएएस की स्थापना के अंतर्गत राज्य में प्रस्तावित 129 स्वचलित वर्षामापी स्थल, 28 नदियों के मेज-डिस्चार्ज स्थल, 39 जलाशयों एवं 6 मौसम केन्द्रों में स्वचालित उपकरण स्थापित कर रियल टाइम हाइड्रोलॉजिकल पूर्वानुमान में सुधार लाकर बाढ़ की पूर्व सूचना, एकीकृत जलाशय सचालन कार्य, कछार के रियल टाइम जल की उपलब्धता का आंकलन बहुत महत्वपूर्ण होने के साथ ही उपलब्ध जल का सर्वाेत्तम उपयोग किया जा सकेगा। इस सिस्टम से न्यूनतम अमले का उपयोग कर आकड़े उपयोगकर्ताओं को उनके कम्प्यूटर एवं मोबाइल में उपलब्ध हो सकेंगे।

इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में विभिन्न चर्चाओं एवं ट्यूटोरियल के माध्यम से प्रतिभागियों को जल विज्ञानीय मॉडलिंग के विभिन्न पहलुओं के बारे में जानकारी दी जाएगी। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के माध्यम से राज्य के सभी सभागों में जल संसाधन कार्य में लगे 36 अभियंतागण नवीनतम तकनीकों के उपयोग में सक्षम हो सकेंगे। जिससे बड़े बांधों के परिचालन, रखरखाव एवं प्रबंधन का कार्य दूरस्थ स्थित केन्द्रों से वास्तविक समय प्रणाली के तहत कर सकने में सक्षम होगा।

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