चीतो का भारत आना पूर्ववर्ती सरकारो की मेहनत का नतीजा,,,चीता प्रोजेक्ट में भी मोदी और भाजपा ने देश को गुमराह किया -कांग्रेस अध्यक्ष मरकाम

रायपुर/17 सितंबर 2022। प्रधानमंत्री मोदी के जन्मदिन के दिन जिस प्रकार से पूरी भाजपा केंद्र सरकार और मध्यप्रदेश सरकार ने चीता इवेंट किया वह बड़ा हास्यास्पद और देश के लोगों को गुमराह करने वाला है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि चीता भारत लाने का प्रोजेक्ट 50 साल पहले शुरू हुआ था। 1972 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी वन्य जीव संरक्षण अधिनियम लेकर आईं। उसके बाद आईएएस अधिकारी एमके रंजीत सिंह ने चीतों को बचाने के लिए एक प्रोजेक्ट का आइडिया पेश किया। उस समय प्रस्ताव रखा गया था कि चीते ईरान से आएंगे। 1973 में दोनों देशों के बीच एग्रीमेंट हुआ। भारत को ईरान से चीते चाहिए थे और ईरान को भारत से शेर चाहिए थे। हालांकि कुछ समय बाद वहां सरकार बदल गई और यह मामला खटाई में पड़ गया। पहले चीतों के लिए सेंचुरी गुजरात में बननी थी लेकिन बाद में पाया गया कि वहां माहौल अनुकूल नहीं है। फिर इसकी जगह बदल कर मध्यप्रदेश की गई। इस इस दौरान पाया गया कि ईरान में चीतों की संख्या तेजी से कम हो गई है। प्रोजेक्ट फिर अटक गया।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि रंजीत सिंह रिटायर हो गए लेकिन इस प्रोजेक्ट पर वे लगे रहे। 2008-09 में उन्होंने नए सिरे से प्रस्ताव पेश किया। यूपीए सरकार में पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने एक कमेटी बनाई और रंजीत सिंह को इसका अध्यक्ष बनाया। 2009 अफ्रीकन चीता लाने का प्रस्ताव बनाया तथा 2010 में मनमोहन सरकार ने प्रस्ताव स्वीकृत किया। 25 अप्रैल 2010 को तत्कालीन पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश अफ्रीका गए और चीता देखा। 2011 में भारत सरकार द्वारा 50 करोड़ रु. चीतों के लिए दिए गए। 2012 सुप्रीम कोर्ट से चीता प्रोजेक्ट पर रोक लगा दिया तथा 2019 में सुप्रीम कोर्ट से रोक हटी उसके बाद अब चीते भारत आ सके। मोदी एंड कंपनी ने सिर्फ अपना टैग लगाकर वाहवाही लेने और प्रचार करने का काम किया है। मोदी सरकार और भाजपा जिन चीतों को भारत लाना मोदी जी को ऐतिहासिक उपलब्धि बता रही उन चीतो को भारत लाने का आइडिया प्रस्ताव और मेहनत देश की पूर्ववर्ती सरकारों का है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *