मुख्यमंत्री द्वारा बजट की आलोचना पर पूर्व वरिष्ठ आईएएस मिश्रा ने कहा, “हर अच्छी पहल चुनावी लगना कांग्रेस की स्वाभाविक प्रवृत्ति।”

ग़रीबों के आवास के लिए पैसे नहीं तो 500 करोड़ से मुख्यमंत्री-मंत्रियों के नये बंगले क्यों बनवा रहे?

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जी की बजट को चुनावी करार देने की टिप्पणी पर चुटकी लेते हुए पूर्व वरिष्ठ IAS और छत्तीसगढ़ भाजपा कार्यसमिति सदस्य गणेश शंकर मिश्रा ने कहा है कि इस टिप्पणी में निहितार्थ है की बजट लोगों को राहत देनेवाला है और क्योंकि हर अच्छी बात कांग्रेस चुनाव के वक्त ही करती है इसलिए इसे वे ऐसा बता रहे हैं। उनका दोष नहीं, यह उनके दल की स्वभावीं प्रवृत्ति है।

युवाओं को ध्यान में रखकर बनाया गया बजट

भूपेश बघेल द्वारा बजट में युवाओं, किसान और महिलाओं के लिए कुछ नहीं होने की बात करने पर मिश्रा ने सिलसिलेवार ढंग से गिनाया कि कैसे नवीन टैक्स प्रणाली माध्यम वर्गीय युवाओं को ध्यान में रखकर ही बनाई गई है, जिसका सीधा लाभ उनकी आर्थिक सुदृढ़ता के रूप में उन्हें मिलेगा। कैपिटल एक्सपेंडिचर में 10लाख करोड़ के अभूतपूर्व प्रावधान हुए हैं जिससे अधोसंरचना और निवेश में ग्रोथ के चलते रोज़गार के अवसर उत्पन्न होंगे जिसका सीधा लाभ युवाओं को ही मिलनेवाला है। नेशनल ई-लाइब्रेरी के साथ-साथ भारत के ‘डेमोग्राफिक डिविडेंड’ को सफल करने के लिए कौशल विकास के लिए आधुनिक कौशल विकास केंद्रों का प्रस्ताव दिया गया है जिससे युवाओं को शोर्ट-टर्म और लाँग-टर्म दोनों में निश्चित लाभ मिलेगा।

किसानों और महिलाओं की आर्थिक सुदृढ़ता का ख़याल रखा गया

एग्री स्टार्टअप के लिए प्रोत्साहन, गोवर्धन योजना को विस्तृत करते गए 500 वेस्ट टू वेल्थ प्लांट्स बनाने का प्रस्ताव तथा कृषि वर्धन निधि और 60,000 रू के निवेश के साथ प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना का लाभ किसानों की आय बढ़ाने में ज़रूर होगा। महिलाओं के लिए 7.5% ब्याज दर पर दो वर्षों के लिए बचत योजना देने वाला महिला सम्मान बचत प्रमाणपत्र योजना से न केवल मातृशक्ति को संबल मिलेगा बल्कि पारिवारिक स्तर पर आर्थिक अनुशासन भी बढ़ेगा। एनआरएलएम के अंतरगत देश भर में 81 लाख स्वासहायता समूहों से ग्रामीण महिलाओं को जोड़ा गया है, जो अपनेआप में एक कीर्तिमान है।

ग़रीबों के आवास के लिए पैसे नहीं हैं तो 500 करोड़ की लागत से मुख्यमंत्री-मंत्रियों के नवीन भवनों के लिए क्यों कोई कटौती नहीं?

मिश्रा ने कहा कि अंग्रेज़ी की एक कहावत को भूपेश बघेल चरितार्थ कर रहे हैं, criticism for the sake of criticism. हमारे मुख्यमंत्री बजट की निंदा करके अपना दलगत धर्म तो निभा रहे हैं लेकिन इस वर्ग के लिए वे स्वयं कितने संवेदनशील हैं यह समझना भी ज़रूरी है। छत्तीसगढ़ के अधिकतर नगर निगम डिफ़ंक्ट होने की कगार पर हैं। महापौर का अप्रत्यक्ष चुनाव करवाकर मुख्यमंत्री ने अपने लोगों पर कृपा तो कर दी लेकिन ख़ामियाज़ा निगम खोखले हो कर भर रहा है। निगमों में फ़िज़ूलख़र्ची चरम पर है और वेतन देने का पैसा पूरा नहीं हो पा रहा। इस बार के केंद्रीय बजट में बॉण्ड रिलीज़ करने हेतु भी प्रोत्साहन दिया गया है। लेकिन छत्तीसगढ़ के किसी नगर निगम में इतनी विश्वसनीयता ही नहीं बची की वो बॉण्ड प्लान करने की सोचे।

एक तरह जहां केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना का अपना महत्वाकांक्षी लक्ष्य 2024 तक पूरा करने के लिए 79,950 करोड़ की राशि स्वीकृत कर दी है, वहीं छत्तीसगढ़ के मैचिंग फण्ड ना दे पाने के कारण राज्य के गरीब इस तोजना के लाभ से वंचित रहने के लिए मजबूर हैं। मुख्यमंत्री अपने स्वयं और मंत्रियों के लिए 500 करोड़ का प्रावधान कर नवा रायपुर में आवास निर्मित करवा रहे हैं लेकिन ग़रीबों के आवास के लिए उनके पास पैसे की कमी हो जाती है।

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