श्री रावतपुरा सरकार विश्वविद्यालय में हुआ दो दिवसीय नेशनल सेमिनार,राजा राममोहन रॉय लाइब्रेरी फाउंडेशन के महानिदेशक डॉ. ए.पी.सिंह ने किया छात्रों का मार्गदर्शन,,,

रायपुर।। श्री रावतपुरा सरकार विश्वविद्यालय में लाइब्रेरी एवं सूचना विज्ञान विभाग द्वारा दो दिवसीय नेशनल सेमिनार “ट्रांजेक्शन ऑफ़ लाइब्रेरी फ्रॉम ट्रेडिशनल टू हाइब्रिड मोड: कनेक्टिंग,कम्युनिकेटिंग एंड को ऑपरेटिंग ” का आयोजन 10 और 11 फ़रवरी को प्रातः 10:30 बजे से विश्विद्यालय के प्रेक्षागृह में किया गया। जिसे भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के अंतर्गत संचालित, राजा राममोहन रॉय लाइब्रेरी फाउंडेशन, कलकत्ता द्वारा प्रायोजित किया गया।

नेशनल सेमिनार का उद्घाटन मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित राजा राममोहन रॉय लाइब्रेरी फाउंडेशन एवं नेशनल लाइब्रेरी के महानिदेशक डॉ. अजय प्रताप सिंह द्वारा माँ सरस्वती की पूजा और राज्य गीत के साथ किया गया एवं प्रमुख वक़्ता के रूप में नालंदा विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति एवं बनारस हिन्दू विश्विद्यालय के ग्रंथालय एवं सूचना विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. एच. एन. प्रसाद,ग्वालियर के विभागाध्यक्ष प्रो.जगदीश नारायण गौतम, कृषि महाविद्यालय रायपुर के ग्रंथपाल डॉ. माधव पांडेय, रविशंकर विश्विद्यालय के ग्रंथपाल डॉ. सुपर्ण सेनगुप्ता, गुरु घांसीदास विश्विद्यालय बिलासपुर के ग्रंथपाल प्रो. बृजेश तिवारी, पूर्व ग्रंथपाल प्रो.यू.एन.सिंह, एवं राष्ट्रीय प्रोधोगिकी संस्थान रायपुर के ग्रंथपाल डॉ. सुनील कुमार सत्पथी, साइंस कॉलेज रायपुर से डॉ. प्रवीण शर्मा उपस्थित हुए,साथ ही श्री रावतपुरा सरकार विश्वविद्यालय के प्रति-कुलाधिपति हर्ष गौतम, कुलपति एस. के. सिंह, कुलसचिव प्रभारी मनोज कुमार सिंह उपस्थित रहें।

सेमिनार को सम्बोधित करते हुए विश्वविद्यालय के प्रति-कुलाधिपति हर्ष गौतम ने परमपूज्य श्री रविशंकर महाराज जी को नमन किया एवं उपस्थित सभी सम्मानीय अतिथियों का स्वागत किया, साथ ही उन्होंने अपने जीवन में लाइब्रेरी का महत्व बताते हुए अनुभव साझा किया और लाइब्रेरी और किताबो की महत्वता को बताया, उन्होंने कहा कि हर एक व्यक्ति के जीवन में पुस्तकालय का बड़ा ही महत्व होता है l उन्होंने कहा कि सीखने की कोई उम्र नहीं होती है, कुछ इनोवेटिव करने के लिए हमारा यह विश्वविद्यालय निरंतर कार्य कर रहा हैl

कुलपति एस. के. सिंह ने स्वागत उद्बोधन में अतिथियों एवं विश्वविद्यालय के सभी सदस्यों का शानदार स्वागत किया। उन्होंने बताया की 2018 में यह विश्वविद्यालय परमपूज्य महाराज जी ने युवाओं के भविष्य के लिए एक महत्वपूर्ण परिकल्पना के साथ स्थापित किया था जिसमें उनका उद्देश्य था की छात्र न केवल ज्ञान प्राप्त करें बल्कि एक ऐसी छवि निर्माण करें जो उन्हें उच्च नैतिकता और नैतिक मूल्यों के साथ वैश्विक स्तर पर पहुंचे। उन्होंने कहा की वसुधैव कुटुम्बकम् की विचारधारा के साथ विश्वविद्यालय छात्रों के विकास के लिए अग्रसर है साथ ही उन्होंने नेशनल सेमिनार के उद्देश्यों को बताते हुए लाइब्रेरी की महत्वता बताई।

मुख्य अतिथि के रुप में उपस्थित प्रोफ़ेसर ए. पी. सिंह ने अपने वक्तव्य में पुस्तकालय के विभिन्न प्रकारों को स्पष्ट करते हुए विभिन्न स्थानों के अपने अनुभवों को साझा किया साथ ही छात्रों में पुस्तकों के प्रति रुचि पर चिंता व्यक्त करते हुए स्कूली जीवन मैं ही लाइब्रेरी साइंस को विषय के रूप में जोड़ने की बात कही उन्होंने एक महत्वपूर्ण जानकारी देते हुए बताया कि इस बार के बजट में सरकार ने विलेज लाइब्रेरी को स्वीकृत किया हैl 457 विलेज लाइब्रेरी बनाना है जिसमें से 101बन गया हैl उन्होंने ई-बुक कंसोटिया लांच करने की बात भी उन्होंने अपने वक्तव्य में व्यक्त किया l

तत्पश्चात विश्वविद्यालय के लाइब्रेरी साइंस विभाग के विभाग अध्यक्ष डॉ. गिरजा शंकर पटेल ने सेमिनार के विषय में विस्तार से जानकारी दी, अंत में विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रभारी मनोज कुमार सिंह ने कार्यक्रम में उपस्थित अतिथियों, अधिकारियों, कर्मचारियों, शोधार्थियों, विद्यार्थियों और सभी आगंतुओं के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया। उल्लेखनीय है कि नेशनल सेमिनार में छत्तीसगढ़ के अलावा विभिन्न प्रदेशो जिसमें राजस्थान, बिहार,मध्य प्रदेश, झारखंड ,उत्तरप्रदेश ,कर्नाटक से 154 प्रतिभागियो ने रजिस्ट्रेशन कराया है जिसमें लाइब्रेरी प्रोफेशनल ,शोधार्थी,लाइब्रेरी साइंस विद्यार्थी भी शामिल हुए, इस दौरान प्रोसीडिंग वॉल्यूम ( अ कलेक्शन ऑफ़ सेमिनार पेपर्स ) पार्ट-1 का विमोचन किया गया।

सेमिनार में पहले दिन तीन तकनीकी सत्र हुए एवं दूसरे दिन भी तीन सत्र हुए। सभी सत्रों में उपस्थित वक्ताओं ने “परंपरागत से आधुनिक पुस्तकालयाध्यक्षता में संक्रमण” पर अपनी अंतर्दृष्टि प्रस्तुत की। उन्होंने ज्ञान प्रतिमानों, विशेषताओं, कार्यों और सेवाओं के संदर्भ में पारंपरिक और आधुनिक पुस्तकालयों के तुलनात्मक विश्लेषण पर चर्चा की। उन्होंने नई सेवाओं के साथ आधुनिक पुस्तकालयों के नए चलन और आधुनिक पुस्तकालयों में पुस्तकालय कर्मचारियों की भूमिका के बारे में बताया। साथ ही कहा की अब पारंपरिक पुस्तकालय का हाइब्रिड या डिजिटल पुस्तकालय में परिवर्तन हो रहा है। उन्होंने बताया कि संचार का माध्यम परिवर्तन है और लोगों को यह जानना है कि पूरे विश्व में विज्ञान और प्रौद्योगिकी में किस प्रकार के शोध चल रहे हैं।

पूरा सत्र बहुत ही संवादात्मक रहा। सभी प्रतिभागियों ने वक्ताओं और प्रस्तुतकर्ताओं के साथ सक्रिय रूप से बातचीत की और अपनी शंकाओं को दूर किया।
सेमिनार के अंत में अतिथियों को स्मृति चिन्ह देकर विश्वविद्यालय के ग्रंथालय सचिन दीवान ने सभी को धन्यवाद ज्ञापन ज्ञापित किया गया।

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