रायपुर, पियुष मिश्र,स्वदेशी जागरण मंच के स्वावलंबी भारत अभियान के तहत राजधानी में आज से प्रांतीय विचार वर्ग एवं कार्यशाला शुरू हुई, इसके उदघाटन सत्र में मुख्य वक्ता के रूप में आमंत्रित स्वदेशी जागरण मंच के अखिल भारतीय सह संयोजक अजय पत्की ने कहा कि देश के आर्थिक भविष्य को ध्यान में रखते हुए दत्तोपंत ठेंगडी ने 22 नवम्बर 1991 को स्वदेशी जागरण मंच की स्थापना की थी. एक आर्थिक मंच के रूप में इस संस्था ने देश भर में स्वदेशी की अवधारणा को प्रचारित करने के उद्देश्य से अपना कार्य आरंभ किया.उन्होंने कहा कि संस्थापक सदस्यों के दूरदर्शी प्रयासों से ही आज स्वदेशी एक राष्ट्र्वापी आन्दोलन बन चुका है. आज के विभिन्न सत्रों में आमंत्रित वक्ताओं ने समग्र रूप से कहा कि स्वदेशी, स्वरोजगार और स्वावलंबन से देश में आर्थिक प्रगति का रास्ता तय होगा,
उदघाटन सत्र के मुख्य अतिथि राष्ट्रीय खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग के निदेशक राजेश कुमार मीणा ने कहा कि स्वदेशी की धारणा वास्तव में देश के ग्रामीण और लघु उद्योग को संबल प्रदान करने के उद्देश्य से की गई, इस अवसर पर स्वदेशी जागरण मंच के प्रान्त संयोजक मोहन पवार ने कहा कि स्वदेशी केवल एक अभियान ही नहीं है बल्कि एक विचार भी है, जिसमें देश के लाखों श्रमजीवियों की आस्था जुडी हुई है. अपने संबोधन में स्वावलंबी भारत अभियान के प्रान्त समन्वयक जगदीश पटेल ने कहा कि स्वदेशी जागरण मंच ने देश के आर्थिक तंत्र को आत्म निर्भर बनाने के उद्देश्य से यह अभियान शरू किया है,
केशव दुबोलिया (क्षेत्रीय संगठक- स्वदेशी जागरण मंच) ने अपने संबोधन में कहा कि स्वदेशी के साथ ही भारत को बचाया जा सकता है. लघु और कुटीर उद्यम को प्रोत्साहित करने से इसकी शरूआत की जा सकती है, इस सत्र में पद्मश्री फुलबासन बाई ने अपने विचार रखते हुए कहा कि छोटी सी पूंजी और अथक परिश्रम से आर्थिक प्रगति सुनिश्चित की जा सकती है,
कार्यक्रम के दूसरे सत्र में आई,सी,एम,आर के निदेशक प्रवेश कुमार घोष ने कहा कि लम्बे समय तक आर्थिक रूप से मजबूत बने रहने के लिए स्वावलम्बी की धरना को अपनाना होगा, स्वावलंबी भारत अभियान के प्रान्त संयोजक जगदीश पटेल ने कहा कि यह अभियान चार दिशाओं में कार्य कर रहा है. बेरोजगारी हटाने के साथ ही योजनाओं के विकेंद्रीकरण पर जोर देना इसका उद्देश्य है. साथ ही नौकरी की मज़बूरी को छोड़कर उद्यमिता और सहकारिता पर बल देना इस अभियान की ताकत है,
तीसरे सत्र में स्वदेशी जागरण मंच के अखिल भारतीय सह व्यवस्था प्रमुख दीपक शर्मा ने अपने संबोधन में कहा कि भविष्य में संसाधन की सिमित उपलब्धता और आबादी के बीच उसके वितरण की चुनौती को देखते हुए हमें अभी से वैकल्पिक रस्ते निकालने होंगे, उन्होंने उदाहरण सहित बताया कि देश में दुग्ध क्रांति और हरित क्रांति से यह साबित हो चूका है कि सहकारिता के आधार पर बनी व्यवस्था न केवल रोजगार सृजन का अधर बनती है, बल्कि यह किसी भी मंदी से भी अप्रभावित रहती है.
अगले सत्र में दत्तोपंत ठेंगडी के योगदान पर विशेष चर्चा की गई. इस पर मुख्य वक्ता सुधीर दाते ने कहा कि दत्तोपंत ठेंगडी ने गुलामी के दौर में केरल जैसे राज्य में जाकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखाएँ संचालित की, उन्होंने पश्चिम बंगाल में भी शाखाओं का विस्तार किया, इसके अलावा उन्होंने भारतीय मजदूर संघ, और स्वदेशी जागरण मंच की स्थापना भी की, इस सत्र में स्वदेशी के सार्थिक और समाजिक स्वरूप की व्याख्या प्रस्तुत करते हुए वक्ता के रूप में स्वदेशी जागरण मंच के प्रान्त संपर्क प्रमुख सुब्रत चाकी ने कहा कि 1998 में स्वदेशी मेले के माध्यम से इस अभियान को गति मिली और अब यह एक सामाजिक- आर्थिक अभियान का सम्मिलित स्वरूप बनकर उभरा है. अपने विचार रखते हुए स्वावलंबी भारत अभियान की प्रान्त सह समन्वयक सुमन मुथा ने कहा कि स्वावलम्बी होने की धरना भारत में बहुत पुराणी हिया, इस अभियान के माध्यम से इसे पुनः जागृत करने का संकल्प लिया गया है,
संध्या के संत्र में रोजगार सृजन पर केशव दुबोलिया (क्षेत्रीय संगठक- स्वदेशी जागरण मंच) ने कहा कि बढती आबादी के साथ सबके लिए नौकरी की व्यवस्था लगभग असंभव कार्य होगा, ऐसे में रोजगार के स्थान पर स्वरोजगार को बढ़ावा देकर ही सबको काम दिया जा सकता है. साथ ही कौशल विकास पर ही विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है,
अज के अंतिम सत्र में संभव स्तर पर विचार विमर्श हुआ, इसमें स्वदेशी जागरण मंच के प्रान्त संपर्क प्रमुख सुब्रत चाकी सुब्रत चाकी, प्रान्त संयोजक मोहन पवार, स्वावलंबी भारत अभियान के प्रान्त समन्वयक जगदीश पटेल, स्वदेशी जागरण मंच की अखिल भारतीय सह महिला प्रमुख शीला शर्मा, स्वावलंबी भारत अभियान की प्रान्त सह समन्वयक सुमन मुथा ने सभी संभागों के स्तर पर विचार-विमर्श का संयोजन किया.
कल इस कार्यशाला के समापन से पहले स्वदेशी, स्वरोजगार और स्वावलंबन सहित विभिन्न विषयों पर विमर्श होगा, अंतिम सत्र में स्वदेशी जागरण मंच के अखिल भारतीय सह व्यवस्था प्रमुख दीपक शर्मा प्रमुख वक्ता के रूप में अपने विचार रखेंगे, इस सत्र की अध्यक्षता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रान्त संघचालक डॉ पुर्णेन्दु सक्सेना करेंगे ।