श्रीरामचरित मानस सुंदरकांड के प्रचार में जुटा साय परिवार,, पत्नी, बहन के साथ देशभर में पैदल भ्रमण, हर दिन सुंदरकांड का पाठ करने की कर रहे अपील,,,,

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मिलने बाबत पत्रकार वार्ता आयोजित किए

रायपुर पियुष मिश्रा,महादेव मार्केण्डेय डांगापानी आश्रम, कसडोल विकासखंड जिला बलौदाबाजार निवासी वीरकमल साथ अपनी पत्नी, बहन मीरा भोई के साथ देशभर में भ्रमण कर श्रीरामचरित मानस और सुंदरकांड का प्रचार कर रहे हैं। 2015 से उन्होंने डोंगापानी से प्रचार का सिलसिला शुरू किया जो आज तक जारी है। इनके द्वारा श्रीरामचरित मानस और सुंदरकांड का संगीतमय पाठ किया जाता है। वेदांत की आवाज. इन वेब पोर्टल न्यूज़ पत्रकार रवि पांडे से चर्चा के दौरान बताया गया कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनने से पूर्व उन्होंने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मुलाकात कर श्रीरामचरित मानस और सुंदरकांड का प्रचार करने देशभर में भ्रमण करने की जानकारी दी थी। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने पर हर संभव मदद करने की बात कही थीं। प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी है तो वह एक बार फिर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मिलकर मदद करने की अपील चाहता है। करना सुंदरकांड की महिमा बताई श्रीरामचरित मानस के सुंदरकांड की महिमा बताते हुए उन्होंने श्रीराम भक्त श्री हनुमान की महिमा और शक्ति का विस्तार से वर्णन करते हुए कहा कि सागर पार करना, माता सीता से मिलना, लंका दहन कर राण का घमंड चूर करना आदि कृत्य श्रीरामदूत हनुमान जी के अतुलित बल का प्रमाण हैं। इस अध्याय को पाठ श्री हनुमान जी कलि काल में जागृत देवता हैं।भगवद् भक्ति करने से आत्मविश्वास का संचार व्यक्ति में होता है। में सब कुछ कर दिया अर्पण उल्लेखनीय है कि श्री साय ने अपनी भूमि का विक्रय कर भगवद् भक्ति में अपना जीवन समर्पित कर दिया है मंदिरों में जाकर उसके द्वारा प्रतिदिन गीता व रामायण का अध्ययन और उपदेश दिया जाता है। श्रीरामचरित मानस और सुंदरकांड का प्रचार करते हुए वे देश के कई राज्यों में जाकर अपनी प्रस्तुति देते हैं और रात्रि विश्राम मंदिरों में करते हैं। इसलिए रखा गया अध्याय का नाम ‘सुंदरकांड’
उन्होंने बताया कि दरअसल रावण की लंका तीन पर्वतों (त्रिकुटाचल) पर बसी हुई थी, जिसमें तीसरे पर्वत का नाम सुंदर पर्वत था। यहां स्थापित अशोक वाटिका में रावण ने माता सीता का हरण कर उन्हें रखा था। यही माता सीता से श्री हनुमान जी की भेंट हुई थी। यह भेट श्रीरामचरित मानस का सबसे अहम हिस्सा है। इसके कारण इस अध्याय का नाम सुंदरकांड पड़ा।

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