स्वामी नरेंद्राचार्य महाराज का एक दिवसीय प्रवचन दर्शन एवं समस्या मार्गदर्शन कार्यक्रम छत्तीसगढ़ सम्पन्न,, लाखों के संख्या में पहुँचे भक्त इस कारण से कार्यक्रम ख़ास ….

पियुष मिश्रा

रायपुर:- रामानंदाचार्य स्वामी नरेंद्राचार्य महाराज नानीज धाम महाराष्ट्र का एक दिवसीय प्रवचन दर्शन एवं समस्या मार्गदर्शन कार्यक्रम छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले के डोंगरगांव तहसील में स्थित कृषि उपज मंडी परिसर में सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। इस कार्यक्रम में लगभग 10 हजार भक्तों ने दर्शन लाभ प्राप्त किया। आज के कार्यक्रम में लगभग 800 भक्तों का समस्या मार्गदर्शन किया गया तथा 600 से अधिक भक्तों ने उपासना दीक्षा लेकर स्वामी जी का आशीर्वाद प्राप्त किया।

जगद्गुरु नरेंद्राचार्य जी महाराज के मार्गदर्शन में राजनांदगांव जिले के डोंगरगांव तहसील अंतर्गत ग्राम अर्जुनी में बाजार एवं सड़क किनारो की समुचित सफाई किया गया। दिनांक 1 अक्टूबर 2023 को जगतगुरु श्री द्वारा एक दिवसीय प्रवचन दर्शन एवं समस्या मार्गदर्शन समारोह डोंगरगांव जाते समय रास्ते में ग्राम अर्जुनी में स्वच्छता अभियान चलाया गया।
इस अवसर पर स्वामी जी द्वारा स्वच्छता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि न केवल अपने घर बल्कि आसपास के क्षेत्र को भी साफ सुथरा रखना चाहिए । कोई भी कचरा सड़क पर या नाली पर नहीं डालना चाहिए । प्लास्टिक का उपयोग धीरे-धीरे बंद करना चाहिए। जिससे पर्यावरण का संरक्षण हो सके और हम स्वस्थ रहकर दीर्घायु जीवन जी सके।
इस अवसर पर स्वामी जी ने कहा कि इस कलयुग में पुण्य संचय करने हेतु गुरु का मार्गदर्शन अति आवश्यक है। बिना गुरु के जीवन व्यर्थ है। उन्होंने कहा कि सतयुग, त्रेता युग और द्वापर युग में भगवान को भी गुरु दीक्षा लेना पड़ा था, तभी उनका जीवन सफल हुआ है। इस कलयुग में भी सतगुरु मिलने से जीवन का सफर आसान हो जाता है। किंतु यह भी आवश्यक है कि पानी पियो छान कर और गुरु बनाओ जानकर अर्थात किसी को भी अपना गुरु बनाने के पहले, गुरु मानने के पहले उन्हें आजमा ले और जब आप उनसे संतुष्ट हो तब बिना देरी किए गुरु बना लेना चाहिए । गुरुबाक्यम मंत्र मूलम कहा गया है, अर्थात गुरु द्वारा दिए गए मार्गदर्शन को मंत्र के समान मानकर वैसा आचरण करने से जीवन सफल हो जाता है। स्वामी जी के दो मूल मंत्र हैं पहला तुम जियो और दूसरों को जीने में सहायता करो तथा दूसरा सपने में भी किसी के बारे में बुरा मत सोचो। तुम्हारा कल्याण होगा। इन दोनों मूल मंत्र को अपने जीवन में अपना कर अपने तथा अपने परिवार के इहलोक और परलोक दोनों के सद्गति के लिए मार्ग प्रशस्त करना चाहिए। गुरु के द्वारा बताए गए मार्ग पर चलने से निश्चित ही सफलता प्राप्त होती है।

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