27 फरवरी, 2020
श्री रणदीप सिंह सुरजेवाला, मुख्य प्रवक्ता, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा जारी बयान:-
न्याय करने वालों को भी बख्शा नहीं जाएगा?
भाजपा नेताओं के खिलाफ मामलों की सुनवाई कर रहे जज का अचानक तबादला!
जुडिशियरी के खिलाफ भाजपा की दबाव व बदले की राजनीति का हुआ पर्दाफाश
1.
कल, 26 फरवरी 2020 को दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस मुरलीधर एवं जस्टिस तलवंत सिंह की दो जज की बेंच ने दंगा भड़काने में कुछ भाजपा नेताओं की भूमिका को पहचानकर उनके खिलाफ सख्त आदेश पारित किए एवं पुलिस को कानून के अंतर्गत तत्काल कार्यवाही करने का आदेश दिया। इस आदेश की प्रति संलग्नक 1 है।
केंद्र सरकार के वकील, श्री तुषार मेहता ने हाईकोर्ट में इसके वीडियो दिखाए जाने के बावजूद यह हवाला देते हुए आदेश में नामित इन कथित आरोपियों को बचाने का हर संभव प्रयास किया कि यह कार्यवाही किए जाने के लिए ‘‘उचित समय’’ नहीं है। उनका निवेदन 26 फरवरी, 2020 के आदेश में दर्ज है।
बेंच द्वारा आदेश दिए जाने के कुछ घंटों में ही, न्याय व कानून मंत्रालय ने एक आदेश पारित कर उनका ट्रांसफर तत्काल पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट कर दिया। ट्रांसफर ऑर्डर की प्रति संलग्नक 2 है।
2.
पूरा देश अचंभित है, लेकिन मोदी शाह सरकार की दुर्भावना, कुत्सित सोच व निरंकुशता किसी से छिपी नहीं, जिसके चलते वो उन लोगों को बचाने का हर संभव प्रयास करेंगे, जिन्होंने भड़काऊ भाषण दे नफरत के बीज बोए और हिंसा फैलाई।
एक मजबूत व स्वतंत्र जुडिशियरी इस देश की रीढ़ है। हमारे देश के इतिहास में जुडिशियरी ने महत्वपूर्ण अवसरों पर इस देश के नागरिकों व इसके संविधान की रक्षा की है। यद्यपि ऐसा पहली बार हो रहा है जब कोई सरकार सत्ता के नशे में इतनी चूर है कि वह इस देश के संविधान, संस्थानों एवं देश के नागरिकों के विश्वास को कमजोर करती जा रही है।
प्रधानमंत्री एवं श्री अमित शाह को तीन बड़े सवालों के जवाब देने होंगेः
- क्या आपको यह डर था कि यदि आपकी पार्टी के नेताओं की स्वतंत्र व निष्पक्ष जाँच की जाएगी, तो दिल्ली की हिंसा, आतंक व अफरा-तफरी में आपकी खुद की मिलीभगत का पर्दाफाश हो जाएगा?
- निष्पक्ष व प्रभावशाली न्याय सुनिश्चित किए जाने से रोकने के लिए आप कितने जजों का ट्रांसफर करेंगे?
- क्या आपके पास अपनी ही पार्टी के नेताओं द्वारा दिए गए विषैले बयानों को उचित ठहराने का कोई रास्ता नहीं था, इसलिए आपने उस जज का ही ट्रांसफर कर दिया, जिसने पुलिस को आपकी पार्टी के नेताओं की जाँच करने का आदेश दिया था?
भाजपा सरकार की न्याय पालिका पर अनर्थक दबाव बनाने तथा बदला लेने का यह पहला मामला नहीं है। याद रहे कि गुजरात दंगों में मोदी जी-श्री अमित शाह के खिलाफ वकील रहे सुप्रीम कोर्ट के प्रसिद्ध सीनियर एडवोकेट श्री गोपाल सुब्रमण्यम की नियुक्ति को मोदी सरकार ने जबरन रोक दिया व सुप्रीम कोर्ट कॉलिजियम के आदेशों की परवाह नहीं की। इसी प्रकार से उत्तराखंड में कांग्रेस की सरकार को नाजायज तौर पर बर्खास्त कर राष्ट्रपति शासन लगाने के निर्णय को सिरे से खारिज करने वाले न्यायाधीश, जस्टिस केएम जोसेफ की नियुक्ति को मोदी सरकार द्वारा रोक कर रखा गया। सुप्रीम कोर्ट के कॉलिजियम द्वारा बार बार जस्टिफ जोसेफ की सुप्रीम कोर्ट जज के तौर पर नियुक्ति के निर्णय को दोहराने के कई महीनों बाद ही मोदी सरकार ने नियुक्ति को क्लियर किया।
मोदी सरकार ने न्यायाधीश, अकील कुरैशी की नियुक्ति को भी रोककर रखा, जिन्होंने श्री अमित शाह को 2010 में जेल भेजा था। यह इसके बावज़ूद हुआ कि सुप्रीम कोर्ट के कॉलिजियम ने यह रिकमेंडेशन सरकार को भेजी थी। शैल कंपनियों के बारे सरकार के खिलाफ असहज निर्णय देने वाली जस्टिस गीता मित्तल को भी इसी प्रकार से ट्रांसफर कर दिया गया। बात साफ है कि अगर न्यायाधीश सरकार की नीतियों पर संविधान के अनुरूप अंकुश लगाते हैं, तो मोदी सरकार बदले की भावना से काम करती है।
भाजपा सरकार एवं इसके नेता 2019 में अपनी चुनावी जीत के नशे में चूर हैं। उन्हें यह याद रखना चाहिए कि देश के नागरिकों ने उन्हें देश की सेवा करने व शासन चलाने के लिए चुना है, न कि डराने, धमकाने व लोगों को गुलाम बनाने के लिए। लेकिन वो यह भूल जाते हैं कि जुडिशियरी केवल एक सिद्धांत का पालन करती है, और वह सिद्धांत है – ‘‘सत्यमेव जयते’’। अंत में सदैव सत्य की विजह होती है।
प्रधानमंत्री, गृहमंत्री एवं उनकी सरपरस्ती में काम करने वाले लोगों से हमारा वादा है: चाहे कितनी भी फेक न्यूज़ या असत्य खबरें फैला लो, चाहे कितने भी झूठे खंडन कर दो, सत्य सामने आकर रहेगा।
हमें इस बात में कोई संदेह नहीं कि माननीय जज, जो इस मामले की सुनवाई आज 2 बजे करेंगे, वो उसी साहस, प्रतिबद्धता व स्वतंत्रता के साथ न्याय प्रक्रिया को आगे बढ़ाएंगे, जिसके साथ जस्टिस मुरलीधर ने इस अहंकारी, प्रतिशोधपूर्ण व अकुशल सरकार को कटघरे में खड़ा किया। भय और नफरत का माहौल पैदा करने वाले किसी भी व्यक्ति को छोड़ा नहीं जाना चाहिए।
उन परिवारों के लिए हमारा यह दायित्व है, जिन्होंने अपने प्रियजन, अपने घर और अपनी आजीविकाएं खो दीं।
जय हिंद!