शहरों से छोड़े जा रहे मवेशियों से ग्राम पंचायत चीचा के लोग परेशान ,कैसे बचाएं लहलहाती फसल

नया रायपुर में स्थित सभी गांव की स्थिति जस की तस बनी हुई है अगर शासन की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को लेकर बनाई गई योजना के बारे में बात करें तो ग्राम चीचा की स्थिति भी बहुत अच्छी नहीं कही जा सकती जहां गौठान का निर्माण ही नहीं हुआ है जमीन का आवंटन ही नहीं हुआ है जबकि वहां दो से ढाई हजार के बीच में पशुओं की संख्या है शहरों से भी जो लावारिस पशु हैं उनको भी रोज रात इसी ग्राम में छोड़ दिया जाता है पशुओं की खाने पीने की समस्या है जिसका निराकरण ग्राम पंचायत गौठान ना होने के कारण नहीं कर पा रही है सरपंच पति संतोष डहरिया ने लेखवीर को बताया कि हमारे साथ बहुत भेदभाव किया जा रहा है जो ग्राम पंचायत का फंड होता है उसका भी किसी प्रकार से आवंटन भूपेश सरकार के कार्यकाल में नहीं हुआ है हम इतनी महत्वपूर्ण योजना जो वाकई में बहुत अच्छी है उसका लाभ नहीं ले पा रहे हैं हमारे यहां पशुओं की संख्या भी बहुत है सिर्फ गांव के पशुओं की संख्या वह भी बहुत है और जो बाहर से छोड़े जा रहे हैं लावारिस पशु वह भी काफी बड़ी मात्रा में है गौठान ना होने के कारण ना तो गोबर खरीदी कर पा रहे हैं ना पशुओं को अच्छे से रख पा रहे हैं आपने देखा होगा गांव में घुसते साथ की सभी सड़कों पर शहर से छोड़े गए लावारिस पशु नजर आ रहे हैं खेतों को भी काफी नुकसान हो रहा है जबकि पंचायत ने चार से पांच चरवाहे पंचायत के खर्चे से रखे हैं ताकि इन पशुओं को व्यवस्थित ढंग से खुले मैदान में रखा जा सके मेरी आपके चैनल के माध्यम से शासन के बड़े अधिकारियों से विनती है कि रायपुर राजधानी स्थित ग्राम चीचा की ओर ध्यान दें और जो बहुत बड़ी समस्याएं इन योजनाओं को लेकर है उसका निराकरण शीघ्र अति शीघ्र करें अन्यथा हम उग्र कदम उठाने के लिए मजबूर होंगे

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