एनआरडीए नया रायपुर डेवलपमेंट अथॉरिटी जो कि नया रायपुर राजधानी को विकसित कर रही है उसकी बेरुखी से शासन की महत्वकांक्षी योजना भूपेश की चार चेनारी नरवा गरुवा घुरवा बारी के तहत बनने वाले गौठान योजना का बेड़ा गर्क हो रहा है एनआरडीए क्षेत्र में स्थित गांव आज तीनों योजनाओं के लिए दर दर की ठोकर खा रहे हैं कभी वह मुख्य कार्यपालन अधिकारी से मिलते हैं कभी मंत्री का आवेदन देते हैं कभी विधायक तक अपनी बात पहुंचाने की कोशिश करते हैं लेकिन रवैया ऐसा है कि उनकी आवेदन को एक रद्दी का टुकड़ा मानकर कहीं फेंक दिया जाता है nrda के अमूमन सभी गांव में यही स्थिति है अगर मंत्रालय के पीछे या यह कहें कि कुछ दूरी पर स्थित कोटरा भाटा गांव और ऐसे बहुत से गांव हैं जो बड़े गांव हैं जहां मवेशियों की संख्या ज्यादा है रहवासियों की संख्या ज्यादा है वहां पर इन तीनों योजनाओं का चाहे वह गोठान की बात हो चाहे वह गोबर खरीदी की बात हो या चाहे वह रोका छेका का जिसको इसी महीने भुपेश सरकार ने लागू किया था पूरे प्रदेश भर में गोबर खरीदी को लेकर बड़े-बड़े होर्डिंग्स और विज्ञापन जारी किए गए थे और कहा गया था कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ बनाने के लिए इन योजनाओं को लागू किया जा रहा है और जिसका परिणाम अति शीघ्र जनता को देखने को मिलेगा इन तीनों योजना का कोटरा भाटा गांव में ना तो अभी तक क्रियान्वयन हुआ है और ना ही इसका लाभ वहां के ग्राम वासियों को मिल पा रहा है चाहे यहाँ की सड़कों की बात करें चाहे यहां के पशुओं की बात करें और चाहे वहां के ग्राम वासियों की बात करें सभी की स्थिति बद से बदतर है एक तरफ पानी की किल्लत है जबकि एनआरडीए ने यहां के ग्राम वासियों के जमीन को अधिग्रहित कर लिया गया है जिसका मुआवजा भी अभी तक उन्हें प्राप्त नहीं हुआ है और जो वहां लोग रह रहे हैं उनको सिर्फ आश्वासन पर जीना पड़ रहा है सरपंच पति ललित यादव ने बताया कि चार से पांच बार उनके द्वारा आवेदन दिया जा चुका है उसके बाद भी कोई सुनवाई नहीं हो रही है उठान निर्माण के लिए जमीन चिन्हित करके पूरे कार्य को लटका दिया गया है ना वहां कोई अधोसंरचना जारी की गई है ना किसी प्रकार का फंड जारी किया गया है जबकि उनके गांव में 3000 मवेशी हैं और रोजाना 5 से 6 ट्रैक्टर ट्रॉली गोबर निकलता है उन्होंने आगे बताया करो यहां की ग्राम पंचायतों के लिए बहुत ही खराब है हमारी कोई सुनवाई नहीं होती है और हमें पशुओं से भी बदतर समझा जाता है जबकि हम एक जनप्रतिनिधि हैं और हम चाहते हैं ग्राम का विकास बहुत अच्छे ढंग से हो क्योंकि हमको ब्लॉक और शासन से किसी प्रकार का पैसा आवंटन नहीं होता है क्योंकि हम nrda के क्षेत्र में आते हैं और हमें पूर्ण रूप से एनआरडीए पर ही निर्भर होना पड़ता है
Nrda के अधिकारियों की बेरुखी से भूपेश की 4 चिन्हारी का निकला दम,
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