मुकेश दंतेवाड़ा – जेल बंदी रिहाई मंच के बैनर तले आदिवासियों ने मोर्चा खोला
निर्दोष आदिवासियों और विचारधीन कैदियों की रिहाई की मांग की
सरकार पर वादाखिलाफी का लगाया आरोप
सरकार किसी की भी हो आदिवासियों के खिलाफ होती है।- मंच
आज की कोरोना संकट में जेल बंदियों का स्थिति और दयनीय हो गई है । कितने लोगो में कोरोना संक्रमण हुआ है? कितने कैदियो की मौत हुई है ये भी पता नहीं है । इस हालत में संवैधानिता,मौलिक अधिकारों को बचाने के लिए जब भी आदिवासी जन आंदोलन करने और अपने मांगो को लेकर संघर्ष तेज करते है तो उनको भी जेल में झूठे प्रकरणों में फसा के जेल में बंद किया जा रहा है ।चुनाव से पहले कांग्रेस सरकार ने आश्वासन दिया था के फर्जी एनकाउंटर और फर्जी मुठभेड़ बंद होगी और निर्दोष आदीवासी बंदी और विचारधीन बंदी,कैदियों के रिहाई की जाएगी, परन्तु अभी तक सरकार की मंशा स्पष्ट नहीं हो पाने के कारण आज आंदोलन के रूप में जेल बंदी रिहाई मंच निम्न बिंदुओं पर अपनी मांग रख रही है ।
1. पुलिस प्रशासन द्वारा नक्सली नाम से जेल में बंद सभी निर्दोष आदिवासियों को तुरंत रिहा किया जाए ।
2. चुनाव से पहले सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी द्वारा किया गया आश्वाशन को अमल में लाया जाए ।
3. कोरोना महामारी संकट से कैदियों का जान बचाने के लिए जमानत पर तुरंत रिहा करे ।
4. विचारधीन कैदियों को नियमित रूप से कोर्ट में पेश किया जाए ।
5. जेल में बंद कैदियों को उनके परिवार वालो से, मित्रो से मुलाकात करने का मौका देना चाहिए उन्हें जरूरतमंद समान मिलना चाहिए ।
6. जेल में उनके क्षमता के अनुरूप ही कैदियों को रखना चाहिए ।
7. जेल में अपनी समस्या बता रहे कैदियों को बर्बर तरीके से पीटा जा रहे है इस गैर कानूनी अमानवीय कृत्य को रोकना चाहिए ।
8. पिछले साल जेल बंदी रिहाई मंच ने मुख्यमंत्री के साथ किया गया बैठक में शासन द्वारा माना गया मांगो को अमल में लाना चाहिए ।
9. जेल मैनुअल के हिसाब से भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित कैदियों ने बीमारी और मौत की शिकार होने की संभावना अधिक होती है । साफ सफाई शुद्ध पेय जल और खाने पीने का व्यवस्था में सुधार लाया जाए ।