त्रिस्तरीय पंचायत व्यवस्था का सपना पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने देखा था और उसे साकार करने का बीड़ा उठाते हुए पूरे देश में लागू भी किया ताकि ग्रामीण अर्थव्यवस्था जो कि भारत जैसे देश की रीड़ की हड्डी है जहां 70 प्रतिशत जनता कृषि क्षेत्र में कार्य करती है वो समृद्ध और सशक्त हो सके छोटे छोटे ग्राम पंचायत को किए का मुंह ना देखना पड़े और गांव के कार्यों का विधिवत संचालन ग्राम पंचायत खुद कर सके इसके लिए एक व्यवस्था के रुप में वित्त आयोग और मनरेगा योजना का गठन किया गया जिससे ग्रामीण क्षेत्रों का विकास अवरुद्ध ना हो और जो पैसों की जरूरत पंचायत को हो वो स्वयं से सचिव और जन प्रतिनिधि सरपंच के द्वारा की जा सके ।सोच तो बहुत अच्छी थी किन्तु वर्तमान समय में स्वार्थ और लालच इनमें समा गया ।केंद्र के द्वारा दी जाने वाली इन राशि में व्यापक भ्र्ष्टाचार देखने को मिल रहा है ।शासन के द्वारा नियुक्त सचिव और जनता के द्वारा चुने गए सरपंच के द्वारा केंद्र की इस राशि का उपयोग व्यक्तिगत सवार्थ के लिए किया जा रहा है ।
ताजा मामला तोड़ गांव ग्राम पंचायत का है जहां 13 व्यक्तियों की पंचायत बॉडी में 12 नवनिर्वाचित लोोगों ने उपसरपंच वर्मा के नेतृत्व के साथ भर्ष्टाचार की शिकायत sdm आरंग और जनपद सीईओ के समक्ष लिखित में है।
पंचायत बॉडी का आरोप है कि नवनियुक्त सरपंच ने बगैर किसी पंचायत प्रस्ताव को पारित किए केंद्र की इस राशि का प्रयोग किया है और जो बिल पंचायत में लगाते गए है उनमें भारी अनियमितता देखने को मिल रही है ।
उपसरपंच वर्मा ने बताया कि हम लोगों ने पहले भी मौखिक रूप से सीईओ साहब को अवगत कराया था और sdm आरंग को लिखित शिकायत की थी आज हम सभी प्रतिनिधि यहां आए हैं और सीईओ सर् ने कहा है कि मैं आज शामतक जांच कमेटी का गठन कर के आपलोगों को अवगत करा दूंगा।
जनपद सीईओ ने बताया कि शिकायत मुझे प्राप्त हुई है निश्चित रूप से इनकी विधिवत जांच की जाएगी और दोषी पाए जाने पर कार्यवाही भी अवश्य की जाएगी ।