गौठानों में आजीविका ठौर की स्थापना और मांग के आधार पर उत्पादन को दंे बढ़ावा: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल
राज्य में गोबर विक्रेताओं को अब तक हो चुका 39 करोड़ रूपए का भुगतान
रायपुर, 20 अक्टूबर 2020/ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज राज्य शासन की महत्वाकांक्षी ‘गोधन न्याय योजना‘ के तहत राज्य के 86 हजार 158 पशु पालकों से की गई गोबर खरीदी के एवज में 6वीं किस्त की राशि 9 करोड़ 12 लाख रूपए का ऑनलाइन भुगतान किया। गोधन न्याय योजना के तहत अब तक गोबर विक्रेताओं को 39 करोड़ रूपए का भुगतान किया जा चुका है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आज अपने निवास कार्यालय में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आयोजित गोधन न्याय योजना के कार्यक्रम में बलौदाबाजार-भाटापारा जिले के गोढ़ी और रायगढ़ जिले के ननसिया के गौठान के स्व-सहायता समूह की महिलाओं से चर्चा की और उनकी आयमूलक गतिविधियों के बारे में जानकारी ली। मुख्यमंत्री ने महिला समूहों द्वारा गौठान में सब्जी-भाजी के उत्पादन से लेकर वर्मी कम्पोस्ट सहित अन्य आयमूलक गतिविधियों के सफल संचालन के लिए उन्हें बधाई और शुभकामानएं दी।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सुराजी गांव योजना के तहत गांवों में गौठान के निर्माण एवं उसके संचालन के साथ-साथ गोधन न्याय योजना के तहत गोबर खरीदी की प्रक्रिया और वर्मी खाद के उत्पादन पर प्रसन्नता जताई और कहा कि सभी विभागों के समन्वित प्रयास से गौठान और गोधन न्याय योजना का सफल क्रियान्वयन सुनिश्चित हुआ है। उन्होंने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सभी जिलों के कलेक्टरों एवं जिला पंचायतों के मुख्यकार्यपालन अधिकारियों को गौठानों में क्रय किए जा रहे गोबर से बनने वाली वर्मी खाद की पैकेजिंग और उसके विपणन की पुख्ता व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि गौठानों में बनने वाली खाद का सोसायटियों के माध्यम से विक्रय और गौठान समिति के खाते में खाद के विक्रय की राशि का जमा होना जरूरी है, ताकि गौठान समितियां स्वावलंबी और स्वयं की राशि से गोबर की खरीदी करने में सक्षम बन सके। उन्होंने कहा कि गोधन न्याय योजना की सतत् मॉनिटरिंग जरूरी है। मुख्यमंत्री ने कलेक्टरों को गांवों में पशुधन की संख्या, गोबर की आवक को ध्यान में रखते हुए गौठानों में वर्मी टांके का निर्माण कराए जाने के निर्देश दिए, ताकि क्रय किए गए गोबर से वर्मी खाद बनाने की प्रक्रिया अनवरत रूप से जारी रहे। उन्होंने कहा कि ऐसे बड़े गांव एवं नगरीय क्षेत्र जहां गोबर की आवक अत्याधिक होती है, वहां गोबर गैस प्लांट लगाए जाने चाहिए, इससे आय में और वृद्धि होगी।
मुख्यमंत्री ने सभी गौठानांे में आजीविका ठौर की स्थापना पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि इससे गौठानों में आयमूलक गतिविधियों के संचालन में सुविधा होगी और गौठानों में चहल-पहल बनी रहेगी। उन्होंने कलेक्टरों को स्थानीय बाजारों की डिमांड के अनुरूप गौठानों में उत्पादन गतिविधियों को बढ़ावा देने की बात कही। मुख्यमंत्री ने इस दौरान सभी जिले के कलेक्टरों से गौठानों के संचालन एवं वर्मी कम्पोस्ट के उत्पादन एवं विक्रय के बारे में भी जानकारी ली। मुख्यमंत्री ने कलेक्टरों से यह भी जानना चाहा कि वर्मी खाद के विक्रय की वजह से जिलों के कितने गौठान गोधन न्याय योजना के संचालन के लिए स्वावलंबी हो चुके है।
कार्यक्रम कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे ने कहा कि गोधन न्याय योजना गरीबों, ग्रामीणों और किसानों को मदद पहुंचाने वाली योजना है। विगत 20 जुलाई से शुरू हुई इस योजना के तहत अब तक 39 करोड़ रूपए का भुगतान गोबर बेचने वाले पशुपालकों को किया जा चुका है। उन्होंने कहा कि वर्मी खाद के विपणन के लिए प्राथमिक सहकारी समितियों से इसका लिंकेज किया जाना है। इस मौके पर पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री टी.एस. सिंहदेव ने कहा कि गोधन न्याय योजना की लोकप्रियता और सफलता को देखते हुए मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार राज्य के 11 हजार 664 ग्राम पंचायतों में इस वर्ष के अंत तक गौठान का निर्माण कराया जाना है। उन्होंने सभी कलेक्टरों को गौठानों में पर्याप्त संख्या में वर्मी टांके का निर्माण कराए जाने की
निर्देश दिए।
कार्यक्रम के प्रारंभ में कृषि उत्पादन आयुक्त डॉ. एम.गीता ने बताया कि राज्य में 5454 गौठान निर्मित है, जिसमें से 3068 गौठानों में गोबर की खरीदी की जा रही है। गौठानों में औसत रूप से 30 हजार क्विंटल गोबर की रोजाना क्रय किया जा रहा है। अब तक 19 लाख 20 हजार 412 क्विंटल गोबर क्रय किया गया है। उन्होंने बताया कि गोबर विक्रेताओं में अन्य पिछड़ा वर्ग के 51 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति वर्ग के 37 प्रतिशत तथा अनुसूचित जाति वर्ग के 7.69 प्रतिशत हितग्राही शामिल हैं।
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