18 अक्टूबर को गैंगरेप के बाद दुष्कर्मियों ने जान से खत्म करने की नीयत से पत्थर से कुचल दिया था।
वरिष्ठ पत्रकार पियूष मिश्रा ने मामले को संज्ञान में लाया था स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंह देव के सामने।
हाथरस की घटना से भी गंभीर घटना है
रायपुर। गैंगरेप का शिकार छत्तीसगढ़ की ‘निर्भया’ आज भी लड़ रही है जिंदगी और मौत की लड़ाई। दुष्कर्मियों ने 18 अक्टूबर को गैंगरेप करने के बाद युवती को जान से मारने की नीयत से पत्थर से कुचल दिया था और उसकी पर्स और मोबाइल लूटकर भाग गये थे।
यह है पूरा मामला
18 अक्टूबर 2020 को लैलुंगा थाना क्षेत्र के खलखिया में सुनसान स्थान में अधमरी अवस्था में एक महिला अर्धनग्न अवस्था में पायी गयी थी।
इलाज के लिए उसे पुलिस ने स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया था। वहां हालत में सुधार न होने पर पीड़िता को रायपुर रेफर कर दिया गया।
यहां मेकाहारा में उसे इलाज के लिए लाया गया। यहां से पीड़िता को डीकेएस भेज दिया गया। डीकेएस में अभी भी पीड़िता कोमा में हैं।
छानबीन में चौंकाने वाली बात सामने आयी
पुलिस की छानबीन में घटना का सच सामने आया जो चौंकाने वाला है। लैलुंगा थाना के प्रभारी अमित सिंह ने बताया कि पीडित युवती बलरामपुर की रहने वाली है। महिला कोतबा और आसपास के गांवों में महिलाओं के स्व सहायता समूह गठन का काम करती है। 18 अक्टूबर को उसे पत्थलगांव जाना था। वह बस से लैलुंगा आयी। मीटिंग में जल्दी पहुंचने के चक्कर में उसने सड़क के किनारे बाइक लेकर खड़े धरमजयगढ़ निवासी युवक संतोष यादव से लिफ्ट मांगा।
संतोष यादव के साथ उसका साथी भी था। दोनों ने युवती से तय कि वह बाइक में पेट्रोल भरवा दे तो वह उसे पत्थलगांव तक छोड़ देंगे। युवती इस बात पर राजी हो गयी। इसके बाद संतोष और उसका साथी युवती को बाइक पर बैठाकर पत्थलगांव की ओर चल दिये। रास्ते में खलखिया गांव के पास सुनसान स्थान पाकर दोनों ने युवती के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया।
इसके बाद जान से मारने की नीयत से उसके सिर और चेहरे को पत्थर से बुरी तरह से कुचल दिया। युवती को मरा समझकर दोनों उसका पर्स और मोबाइल लूटकर भाग गये। पुलिस ने संतोष और उसके साथी को गिरफ्तार कर लिया है और अपराधिक धाराओं में मामला दर्ज कर जेल भेज दिया है।
वरिष्ठ पत्रकार पीयुष मिश्रा ने टीएस बाबा के सामने उठाया था मामला
22 अक्टूबर को सरगुजा क्षेत्र के नेता व प्रदेश सरकार के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने कोरोना के मुद्दे पर पत्रकारवार्ता बुलाई थी। यहां पत्रकारों ने उन्हें इस मामले की जानकारी दी तो उन्होंने कहा था कि इस मामले की जानकारी उन्हें नहीं है। यह उनकी कमी है। वह इस प्रकरण की जानकारी लेंगे।
इसके बाद भी जीवन और मृत्यु से जूझ रही छत्तीसगढ़ की ‘निर्भया’ के इलाज की समुचित व्यवस्था को लेकर न तो जिम्मेदार लोगों द्वारा कोई पहल की गयी और न ही किसी सक्षम व्यक्ति ने यह जानने की कोशिश की पीड़ित परिवार किस दशा में हैं। उसके पास बेटी के इलाज के लिए पैसे हैं या नहीं।