: देश और विश्व में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर की त्रासदी अब लोगों के जहन तक उतर चुकी है. आलम यह हैं कि लोग संक्रमण से कम घबराहट और बेचैनी से ज्यादा ओर गंभीर रूप से प्रभावित हो रहे हैं. स्थिति यह भी बन रही हैं कि ऑक्सीजन लेवल कम होने से मरीज के बेड की तलाश में लोग निकल रहे हैं और बेड नहीं मिलने से मरीज की स्थिति और गंभीर हो जाती है. आखिर क्यों बनी ऐसी स्थिति? क्या हैं इसके बुरे परिणाम और कैसे बचा जाए? जानें हर सवाल का जवाब
कोरोना महामारी का सबसे बेहतर इलाज है कि इसका कोई।इलाज है ही नही ओर अगर कोई इलाज है भी तो वो हमारे शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता है जिसके द्वारा होता हैं और उसके साथ सनातनी पद्धति के नियमो को फॉलो करके साथ मे प्राकृतिक नियमो पर आधारित होमियोपैथीक औषधी का भी प्रयोग करते है जिससे 3 दिन में रोगी निरोग हो जाता हैं
क्या है स्थिति और क्या कहते हैं डॉक्टर?
कोरोना के इस त्रासदी के बीच अस्पताल की बदतर व्यवस्थाओं की तस्वीरें, मर्चुअरी में लाशों का ढ़ेर, श्मशान में जलती चिताएं और अंतिम संस्कार के लिए लंबी कतार, दवाइयों के लिए मारपीट और ना जाने ऐसे कितनों ही नकारात्मक तस्वीरें देख देख कर मन विचलित सा होने लगा है. ऐसी तस्वीरों का सीधा असर लोगों के मनोस्थिति पर पड़ रहा है और बिगड़ते मनोस्थिति के कारण संक्रमित व्यक्ति गंभीर तो सामान्य व्यक्ति मन ही मन मैं खुद को संक्रमित मानने लगा है.
ऐसी स्थिति को लेकर शहर के सुप्रसिद्ध होम्योपैथी चिकित्सक डॉ अजय तिवारी कहते हैं कि कोरोना के भय को सबसे पहले मन से निकालना पड़ेगा. बिना मन से निकाले कोरोना कभी समाप्त नहीं हो पाएगा, साथ ही यह भी कहते हैं कि सामान्य सर्दी, खांसी, छीक और बुखार कभी भी किसी को भी हो सकती है. इसे कभी भी रोका नहीं जा सकता है, लेकिन हमें समझाना होगा कि हर सर्दी-खांसी या बुखार कोरोना नहीं होता है.
आज लोगों के मन में बीमारी का डर बैठ गया है, लोग ऐसा मानने लगे हैं कि कहीं उन्हें कोरोना तो नहीं हो गया है. लोगों को एक छींक आई या 99 ट्रेमपरेचर हुआ या नाक की स्मेल चली गई या जीभ का टेस्ट नही आ रहा है तो वो सोचते हैं कि कहीं उन्हें कोरोना हो ही गया है. लूज-मोशन, आंख लाल उल्टी होना होल कोई नई बात नहीं है, यह पहले भी वाइरल इंफेक्शन में होता था हो ओर इससे पहले भी इससे निजात पाया जा चुका है. ओर आज भी निजात पाया जा रहा है, संक्रमण बढ़ने की सबसे बड़ी वजह लोगों की मानसिक स्थिति ही है. जिसके कारण लोग भीतर भयभीत हो रहे हैं
जब भी हम संक्रमित होते हैं उस समय हमारे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता निम्न स्तर पर होती है हम उसे सनातनी पद्धति से लिक्विड स्टारवेशन करवा कर प्रतिरोधक क्षमता को उच्च स्तर तक ले जाकर रोगी को 2 से 3 दिन में रोग मूक्त कर देते हैं हमारे शरीर का प्रतिरक्षा तंत्र ही हमे संक्रमण से बचाता है