सरपंच संघ के प्रदेश अध्यक्ष गोपाल धीवर ने कहा है कि ऐसे वक्त में, जब पूरे देश मे लॉकडाउन का सबसे बुरा असर किसानों, दिहाड़ी मजदूरों एवं गरीबों पर पड़ा है और पिछले दो सालों से वे अपनी जिंदगी को बचाने की लड़ाई लड़ रहे है, बिजली विभाग कई महीनों का एकमुश्त बिल गरीबों को थमा रहा है। बिल नहीं पटाने पर इन्हें नोटिस भेजा जा रहा है और घरों के कनेक्शन काट कर इस महामारी के समय उन्हें अंधेरे में रहने के लिए मजबूर किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि पिछले लॉकडाउन में कई महीनों तक बिजली बिल के लिए रीडिंग नहीं की गई, जिसके लिए बिजली विभाग जिम्मेदार है। अब कई लोगों को 40-50 हजार रुपये से भी ऊपर के बिल भेजे गए हैं, जो उनकी वार्षिक आय से भी ज्यादा है। रोज कमाने-खाने वाले मजदूरों और किसानों की मनमाने तरीके से भेजे गए इन बिलों को देखकर हालत खराब है कि जब उनके पास खाने के लिए पैसे नहीं है, तो कैसे वे इन भारी-भरकम बिलों का भुगतान कर पायेंगे।
बात यहीं समाप्त नहीं होती है ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने वाली बातें सिर्फ कागजों में ही लिखी जा रही हैं 2016 मई महीने में पूर्ववर्ती सरकार के द्वारा एक पत्र जारी कर कर बिजली विभाग को सूचित किया गया था कि किसी भी प्रकार का
बिजली बिल भुगतान पंचायतों के द्वारा नहीं दिया जाएगा उसके उपरांत भी वर्तमान सरकार के 3 वर्ष बीत जाने के बाद आज पंचायतों को लाखों रुपए का बिल भेज दिया गया है और विद्युत कनेक्शन भी काट दिया गया है यह क्या पंचायती व्यवस्था का माखौल उड़ाना नहीं है सवाल पूछे जाने पर कि क्या सरकार यदि भुगतान नहीं देती है तो क्या होगा उस पर गोपाल जी ने कहा कि यदि का तो प्रश्न ही नहीं उठता यह भुगतान सरकार को ही करना पड़ेगा क्योंकि मूलभूत की राशि जो पंचायतों के खर्चे के लिए आती थी उसे भी 2016 से बंद कर दिया गया है तो पंचायतें जगमाल और बिजली का भुगतान कहां से करेगी हमने इस संबंध में नगरी प्रशासन मंत्री श्री डेहरिया से मुलाकात की है उन्हें भी इस संबंध में अवगत कराया है पंचायत मंत्री टीएस बाबा से भी समय मांगा गया है और हम 15 दिनों के अंदर इसका निराकरण चाहते हैं किसी प्रकार का निराकरण नहीं होने पर प्रदेश पंचायत संघ सड़क पर उतरने के लिए मजबूर हो जाएगा जिसकी समस्त जिम्मेदारी शासन की होगी।
गोपाल धीवर ने कहा कि अब छत्तीसगढ़ में फिर से कोरोना की तीसरी लहर तेजी से बढ़ रही है, जिसका फिर गरीबों की रोजी-रोटी पर बुरा प्रभाव पड़ने वाला है। वे इन बिलों को पटाने की हालत में नहीं है। इसलिए पार्टी ने मांग की है कि गांवों में रहने वाले सभी किसानों, मजदूरों और शहरी झुग्गियों के गरीबों के बिजली बिल को माफ किया जाएं। साथ ही, बिल न पटाने के कारण जिन घरों के बिजली कनेक्शन काटे गए हैं, उनको एक सप्ताह के अंदर जोड़ा जाये। उन्होंने बताया कि बिजली समस्या को लेकर गांव-गांव में बैठकें आयोजित की जा रही है। इन बैठकों में आम जनता का भारी आक्रोश बिजली विभाग के खिलाफ सामने आ रहा है।