धमतरी,, गोविंद साहू ,,हर सफल व्यक्ति के पीछे एक महिला का हाथ होता है यह बातें हम सभी बचपन से सुनते आ रहे हैं ,सशक्त महिला सशक्त परिवार यह सिर्फ नारा नहीं है क्योंकि महिला ही एक परिवार की रीड की हड्डी होती है जो पूरे परिवार को चलाने में, संभालने में, संजो के रखने में अपनी अहम भूमिका निभाती है वह एक बेटी , बहू मां , पत्नी हो सकती है बहुत से किरदार इस भौतिक युग में वो निभाती है भारत देश में 50% महिलाएं आबादी के अनुसार निवासरत है ।आज वे पुरुषों से कंधे से कंधा मिलाकर देश के विकास में अग्रणी भूमिका निभा रही हैं। छत्तीसगढ़ भी इसमें पीछे नहीं है छत्तीसगढ़ की महिलाएं आज पूरे देश में सबसे मेहनतकश महिलाओं के तौर पर जानी जाती है। खेतों से लेकर कारखानों तक और दुकानों से लेकर घर तक सभी में अपनी महती भूमिका महिलाएं निभा रही है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी जबसे बतौर मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़ शासन में काम कर रहे हैं उन्होंने लगातार यह प्रयास किया है कि महिलाएं समूह में काम कर कर सशक्त हों इसके लिए उन्होंने शासन से कई योजनाएं संचालित की लेकिन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का सपना आज टूटते नजर आ रहा है हम बात कर रहे हैं ।
छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले की जहां पहले रेडी टू इट योजना के तहत महिलाओं के 40 समूह कार्य कर रहे थे लेकिन आज उन सभी 40 समूहों को भंग करके रेडी टू ईट का काम उद्योगपतियों को दे दिया गया है जिससे ना केवल 40 समूह की महिलाएं तो बेरोजगार हुई ही हैं उनका परिवार भी रास्ते पर आ चुका है इन सब से कई सवाल भी पैदा हो रहे हैं कि क्या मुख्यमंत्री के सपने को कुछ लोग पूरा नहीं होने देना चाहते ? क्या यह साजिश के तहत जिलों में कार्य हो रहा है या रूढ़िवादिता सोच के तहत महिलाओं को आगे आने से रोका जा रहा है ? ऐसे कई सवाल हैं जिनका जवाब जिम्मेदार व्यक्तियों को देना चाहिए ताकि जनता के पसंदीदा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के संज्ञान में यह बातें आएं और उन्हें वास्तविकता पता चले और वह इसमें अपनी अच्छी सोच के तहत कुछ बेहतर विकल्प महिलाओं के लिए बना सके ।आज रेडी टू ईट में काम करने वाले 40 समूह की महिलाओं की आर्थिक स्थिति बद से बदतर हो चुकी है जिसके कारण उनका परिवार भी आज पैसों के लिए मोहताज हो गया है। देखने वाली बात यह होगी की शासन प्रशासन में बैठे हुए जिम्मेदार इसमें अपनी क्या भूमिका अदा करते हैं और महिला सशक्तिकरण के लिए क्या कदम उठाते हैं?