Piyush mishra रायपुर । सामान्य पेसमेकर की जगह लीडलेस पेसमेकर का चिकित्सकीय उपयोग ज्यादा बेहतर माना जाने लगा है। छत्तीसगढ़ के चिकित्सा क्षेत्र में सुप्रसिद्ध रामकृष्ण केयर हॉस्पिटल में पिछले दिनों उम्रदराज ऐसे ही पेशेंट में इसका उपयोग किया गया है। हॉस्पिटल के मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. संदीप दवे के मार्गदर्शन में श्रेष्ठ हॉस्पिटल का दर्जा प्राप्त, नए तकनीकों को इस्तेमाल होते रहा है, इसी क्रम में हद्य रोग विशेषज्ञ विभागाध्यक्ष डॉ. जावेद अली ने बताया कि अत्याधिक थकान, सांस लेने में तकलीफ, मानसिक भ्रम की स्थिति, चक्कर आना, मांसपेशियों में कमजोर व बेहोशी की स्थिति से रूबरू हो रहे मरीज को लीडलेस पेसमेकर सफलता पूर्वक लगाया गया। यह इम्पलांट बिना तार के होता है। उन्होंने बताया कि पेसमेकर इंसर्शन एक छोटे इलेक्ट्रॉनिक उपकरण का प्रत्यारोपण है, जिसे आमतौर पर हद्य की धीमी प्रवाहित धड़कन समस्याओं को नियंत्रित करने में मदद करने के लिए छाती में (कॉलरबोन के ठीक नीचे) रखा जाता है। उन्होंने बताया कि यह सुनिश्चित करने के लिए पेसमेकर लगाने की सिफारिश की जा सकती है कि दिल की धड़कन खतरनाक रूप से कम दर तक धीमी न हो जाए। पारंपरिक रूप से 90 प्रतिशत छोटा यह पूर्णत: कॉस्मेटिक पेसमेकर है जिसमें छाती पर चीरा इत्यादि की आवश्यकता नहीं होती। यह कम जटिलता युक्त एवं सूक्ष्म ऑपरेशन के जरिये लीडलेस पेसमेकर से मिलने वाले संकेत धड़कन को सामान्य बनाया रखते हैं।
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