रायपुर,,, पीयूष मिश्र
शिक्षा विभाग जो आज छत्तीसगढ़ में सुर्खियां बटोर रहा है अपने कामों के लिए नहीं भ्रष्टाचार के लिए ,चाहे पदस्थापना का मामला हो या ट्रांसफर का। हद तो तब हो जाती है जब अपने ही साथियों के दिवंगत होने पर उनके परिजनों से अधिकारी कर्मचारी पैसा लेने में चुकते नहीं है और अनुकंपा नियुक्ति के नाम पर जो कि एक संवेदनशील विषय है उसमें भी अधिकारी, कर्मचारी दिवंगत सेवकों के परिजनों से शासकीय सेवा में आने हेतु पैसे की मांग करते हैं ,और पैसा दिए जाने के बाद ही नियुक्ति आदेश देते हैं।
प्रदेश के संवेदनशील मुख्यमंत्री भुपेश बघेल ने नियमों को शिथिल करते हुए अनुकंपा नियुक्ति के प्रावधानों को बदल दिया पहले जिसमें मात्र 10% का प्रावधान था उसे बढ़ाकर 25% कर दिया गया ताकि दिवंगत हुए शासकीय सेवको के आश्रितों को अधिक से अधिक अनुकंपा नियुक्ति प्रदान की जा सके । किंतु इस अच्छी सोच और मंशा पर शिक्षा विभाग के अधिकारियों और उनके मातहत कर्मचारियों ने पानी फेरने की कोई कसर नहीं छोड़ी इस संवेदनशील विषय पर भी भ्रष्ट लोगों ने पैसा कमाना नहीं छोड़ा इन लोगों ने यह भी नहीं सोचा फिर दिवंगत शासकीय सेवक उनके साथ ही थे जिन्होंने कंधे से कंधा मिलाकर उनका साथ दिया एक कहावत भी है कि डायन भी सात घर छोड़कर हमला करती है लेकिन इन भ्रष्टाचरियों ने व्यापक स्तर पर लेनदेन करते नियुक्ति प्रदान की।
सूत्रों की माने तो कोरोना के पहले एवम बाद में तकरीबन दो दशकों से अनुकम्पा नियुक्ति के लिए बने नियमों के साथ खिलवाड करते हुए शासकीय कर्मचारीयो के परिजनों को अनुकंपा नियुक्ति प्रदान करने के एवज में बड़े पैमाने पर लेनदेन किया गया है ऐसा सिर्फ राजधानी रायपुर में ही नहीं बल्कि आसपास के जिलों समेत संपूर्ण छत्तीसगढ़ में इस कृत्य को अंजाम दिया गया है ।
लेखवीर पत्रिका शासकीय कर्मचारियों को अपनी भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित करता है और इस बड़े भ्रष्टाचार को कड़ी दर कड़ी उजागर करने का भी प्रयास भी कर रहा है ताकि शिक्षा का मंदिर भविष्य में दूषित होने से बच सके और भरष्टाचरियों को उनकी करनी की सजा मिल सके ।
आगामी आने वाले अंको में हम जिलेवार भ्रष्टाचार को उजागर करने की कोशिश करेंगे।