पीयूष मिश्रा
आरंग/ 08 सितंबर 2023/ गुरू घासीदास साहित्य अकादमी, राजश्री सद्भावना समिति, सतनामी एकता महिला समिति, छत्तीसगढ़ सतनामी विकास समिति व सतनामी समाज विकासखण्ड आरंग के संयुक्त तात्वाधान में ब्लाक मुख्यालय सतनाम भवन आरंग में मुख्य अतिथि नगरीय प्रशासन विकास एवं श्रम मंत्री डॉ. शिवकुमार डहरिया के सानिध्य में राजागुरू धर्मगुरू बालकदास जी की 222 वीं जंयती कार्यक्रम बड़े ही धुमधाम से मनाया गया। सर्वप्रथम धर्मगुरू बालकदास जी के तैलचित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्जवन कर पूजा अर्चना किया गया सभी को धर्मगुरू के जन्मोत्सव की बधाई एवं शुभकामनाएं दिया गया तथा धर्मगुरू बालकदास जी के जीवन चरित्र का बखान किया गया। मंत्री डॉ. डहरिया ने समाज को सम्बोधित करते हुवे कहा कि समनामी समाज छत्तीसगढ़ के जीवट मानव समुदायों में से एक रहा है। हम अपने स्वतंत्र कृषि प्रणाली तथा रहन-सहन के लिए एक अलग पहचान रखते हैं। सतनाम पंथ के लोग अपनी आत्मनिर्भरता, कर्मठता साहस एवं कर्तव्य परायणता के सद्गुणों के कारण जाने जाते हैं। आगे उन्होंने कहा कि गुरू बालकदास जी का जन्म 18 अगस्त 1805 में गिरौदपुरी धाम में हुआ था। कम उम्र में ही इनहोंने सतनाम आंदोलन में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। जिसके कारण उन्हें छत्तीसगढ़ में सतनाम आन्दोलन के महानायक के रूप में जाना जाता है। पिता गुरूघासीदास जी के विचारों का उनके उपर काफी गहरा प्रभाव था, जिसके कारण उन्होंने बाबा गुरूघासीदास जी के विचार सत्य और आहिंसा के मार्ग का प्रचार प्रसार करने का जिम्मा भी अपने उठा लिये थे तथा सतनाम रावटी के माध्यम से समुचे छत्तीसगढ़ बाबा जी विचारों का विस्तार किया। जातिवादी सामंत जानते थे कि गुरू बालकदास जी के रहते सतनामियों के विरूद्ध कोई कार्यवाही नहीं की जा सकती थी, इसलिए सामंती तत्वों ने गुरू बालकदास जी की हत्या का राष्ट्रव्यापी षडयंत्र रचा और सतनामी आंदोलन के महानायक राजागुरू बालकदास जी हमारी भूमि, संपत्ति, सम्मान और हमारे अधिकारों की रक्षा करते हुए 17 मार्च 1860 को 54 वर्ष की आयु में शहीद हो गए।
आगे मंत्री डॉ. डहरिया ने कहा कि हम सभी परम पूज्य बाबा गुरूघासीदास जी एवं गुरू बालकदास जी के अनुयायी हैं। इसलिए उन्होंने जो आदर्श हमारे समाज के लिए स्थापित किये हैं, उनका अनुसरण एवं प्रचार-प्रसार हम सभी का कर्तव्य है। किसी भी समाज की सुदृढ़ता उस समाज की एकता पर निर्भर करती है। हम सभी को अपने सतनामी समाज की एकता एवं अखण्डता को अक्षुण्ण बनाए रखना है। गुरू बालकदास जी का संपूर्ण जीवन ही आदर्शों की परिभाषा है। हम सभी इनक विचारों और सिद्धांतों का अनुकरण करने की प्रेरण लें एवं अपने सतनामी समाज का गौरव एवं मान बढाएं।
कार्यक्रम को अनुसूचित जाति के अध्यक्ष के.पी खाण्डे, श्रीमती शकुन डहरिया अध्यक्ष राजश्री सद्भावना समिति रायपुर, डॉ. जे.आर.सोनी, चेतन चंदेल प्रवक्ता साहित्य अकादमी, डॉ. घनश्याम टण्डन अध्यक्ष सतनामी विकास समिति आरंग, हृदय अनंत एवं किरण भारती ने भी संबोधित कर गुरू बालकदास जी सतनाम आन्दोलन का बखान किया। इस अवसर पर प्रमुख रूप से एम.डी. माहिलकार, प्रकाश बंदे, टिकेन्द्र बघेल, राधाकृष्ण टंडन, दयाराम जांगड़े, मानसिंग गिलहरे, पं. अंजोर दास बंजारे, बाबा डहरिया, प्रेम बघेल, ईश्वर बारले, आशाराम लहरे, नंदू मारकंडे, रमेश कुमार लहरे, भूषण लाल जांगड़े, कपिल देशलहरे, डॉ. सुरेन्द्र कुर्रे, जोशी लाल बंजारे, चन्द्रशेखर चन्द्राकर अध्यक्ष नपा. आरंग, कोमल सिंह साहू अध्यक्ष ब्लाक कांग्रेस कमेटी आरंग, भारती देवांगन अध्यक्ष शहर कांग्रेस आरंग, गणेश बांधे एल्डरमेन, डॉ. बी.के. भारद्वाज, संगीता पाटले संरक्षक सतनामी एकता महिला समिति, डम्बेश्वरी कोशले अध्यक्ष, झनक आवड़े, किसन भारद्वाज, भीम मनहरे, गोपत राम टंडन, आजूराम वंशे, हरमोहन बांधे, पन्ना खेलवार, संतोष भारद्वाज, टिकेश्वर गिलहरे, चम्मन कोशले, बिन्दू कोशले, गणेश राम बंदे, प्रेमनारायण ढीढी, जय डहरिया, लक्की कोशले, देवशरण देशलहरे, ईश्वर जोगलेकर, गोपाल चतुर्वेदी, यशवंत कोशले, के.के. कोसरिया, विजय मारकंडेय, हरि बंजारे, देवीशरण कोसरिया, एवन बंजारे, हीरालाल कोशले, गिरधर कोशले, बाबूलाल ढीढी, दशरथ पुरेना, नरेश घृतलहरे, रूंगू खंडेलवाल, मनोज टंडन, नरेश बघेल, गोमती राजेत्री, विभा बंजारे, सुशीला गिलहरे, भारती टोण्डरे, गोदावरी कोशले, मीना कोशले, द्रोपत बाघमार, रूखमणी टंडन, तनुजा पुरेना, सुनीता सुरतांगे, चांदनी गिलहरे, नरसिंग साहू उपाध्यक्ष नपा. आरंग, राममोहन लोधी, गौरी बाई देवांगन, समीर गोरी पार्षद, शरद गुप्ता, सुरज सोनकर, खिलावन निषाद पार्षद प्रतिनिधि, अब्दुल कादिर गोर, सादिक बैलिम, मंगलमूर्ति अग्रवाल, राजेश्वरी साहू, चन्द्रकला साहू, निर्मला साहू, जितेन्द्र शर्मा, दीपक चन्द्राकर, भरत लोधी, दिनेश्वर तंबोली, सागर जोशी, राकेश मिश्रा सहित बड़ी संख्या में नगरवासी उपस्थित थे।