बस्तर की कला, संस्कृति और बस्तर को जो जानत-पहचानते हैं, वह अबूझमाड़ को भी जानते हैं। माता मावली मेला बस्तर का सबसे प्राचीन मड़ई-मेलों में से एक है

नारायणपुर

माता मावली मेला का हुआ समापन
आदिवासियों की लोककला-संस्कृति को आगे बढ़ा रही सरकार-मंत्री लखमा
प्रदेश में आदिवासियों की बेहतरी के लिए कई योजनाएं संचालित-उद्योग मंत्री
-बस्तर की कला, संस्कृति और बस्तर को जो जानत-पहचानते हैं, वह अबूझमाड़ को भी जानते हैं। माता मावली मेला बस्तर का सबसे प्राचीन मड़ई-मेलों में से एक है। इस मेले को उत्सव का रूप देने के लिए वे मुख्यमंत्री से बात करेंगे। उक्त बातें वाणिज्यक कर (आबकारी) एवं उद्योग मंत्री कवासी लखमा ने माता मावली मेला के समापन अवसर पर मुख्य अतिथि के आसंदी से कही। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार आदिवासियों की लोककला-संस्कृति को आगे बढ़ा रही है।

कलेक्टर एवं मेला आयोजन समिति के अध्यक्ष श्री पी.एस.एल्मा ने अतिथियांे का स्वागत किया। स्वागत भाषण में कहा कि 5 दिवसीय मेले में आम जनता के मनोरंजन के लिए सांस्कृतिक कार्यकमों के आयोजन किये गये, जहां लोगों ने अबूझमाड़ की कला संस्कृति की झलक देखी। वहीं आम जनता की भलाई के लिए चलायी जा रही योजनाआंे पर आधरित विभिन्न विभागों द्वारा स्टॉल भी लगाये गये। कार्यक्रम में सांसद बस्तर दीपक बैज, बीजापुर विधायक
विक्रम मंडावी, विधायक नारायणपुर चंदन कश्यप, जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती श्यामबती नेताम, नगर पालिका अध्यक्ष श्रीमती सुनीता मांझी सहित क्षेत्र के पंचायत पदाधिकारी एवं जनप्रतिनिधी, गणमान्य नागरिका और बड़ी संख्या में ग्रामीणजन उपस्थित थे।

। कलेक्टर पी.एस.एल्मा ने कार्यक्रम के अंत में अतिथियों को स्मृति चिन्ह भेंट की।

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