कसडोल में हुई मूसलाधार बारिश के बाद मानाकोनी गांव में जोंक व्यापवर्तन मुख्य नहर के फूट जाने से जल संसाधन विभाग का भ्रष्टाचार उजागर हो गया

डेविड साय – कसडोल अंचल में 15 और 16 अगस्त को हुई मूसलाधार बारिश के बाद मानाकोनी गांव में जोंक व्यापवर्तन मुख्य नहर के फूट जाने से जल संसाधन विभाग का भ्रष्टाचार उजागर हो गया गौरतलब है कि इस मुख्य नहर में 7 करोड़ 24 लाख 90 हजार रुपयों की लागत से रिमाडलिंग और नहर लाइनिंग का कार्य कराया गया था जिसके लिए जल संसाधन विभाग के द्वारा मेसर्स श्री रानी सती ग्रेनाइट कम्पनी मनेन्द्रगढ़ जिला कोरिया को दिया गया था जिसकी कार्यावधि 31 मार्च 2018 को पूरा हो गया,इस निर्माण कार्य के पूरा होने के महज एक साल के बाद ही मानाकोनी में नहर के एक नहीं दो दो जगहों से फूटना जल संसाधन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर रही है,वहीं नहर के फूट जाने से किसानों के खेतों में पानी के तेज बहाव से फसल बर्बाद हो गया और किसानों के खेतों में मलबा जम जाने से किसानों को काफी ज्यादा नुकसान उठाना पड़ रहा है

– मानाकोनी में नहर फूटने के बाद मानाकोनी के किसानों ने आरोप लगाया है कि जल संसाधन विभाग के द्वारा नहर के निर्माण कार्य में भ्रष्टाचार को अंजाम दिया गया है और विभाग की लापरवाही के चलते यह हादसा हुआ है,नहर नाइलिंग कार्य में भ्रष्टाचार होने के कारण नहर मजबूती से नहीं बना था और मौसम विभाग के द्वारा पहले ही भारी बारिश की चेतावनी दी गयी थी जिसे जल संसाधन विभाग के द्वारा नजर अंदाज किया गया और नहर का गेट पहले से ही खुला था जिसे विभाग के द्वारा बंद नहीं किया गया था और गेट खुले होने के कारण नहर में पहले से ही पानी था और बारिश होने के कारण नहर में पानी बढ़ने लगा जिसकी सूचना ग्रामीणों के द्वारा जल संसाधन विभाग को दी गयी लेकिन विभाग के द्वारा गेट को बंद नहीं किया गया और जब तक विभाग के द्वारा गेट को बंद किया जाता तब तक बहुत ज़्यादा पानी बढ़ चुका था जिसके चलते गेट जाम हो गया और नहर में पानी बढ़ता ही गया और नहर फूट गया, नहर के फूट जाने को लेकर लेखवीर ने जब जल संसाधन विभाग के कार्यपालन अभियंता से सवाल पूछा तो उन्होंने पल्ला झाड़ते हुए ये कहा कि पानी ज्यादा होने से नहर फूटा इसमें किसी भी तरफ का कोई भ्रष्टाचार नहीं किया गया,जबकि करदाताओं की 7 करोड़ 25 लाख रुपयों की राशि को किसानों के हित में खर्चा किया गया लेकिन एक बार फिर निर्माण कार्य भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया और इसका खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा है।

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