3 जनपदो के बीच फंसा हुआ नवा रायपुर का गांव पोता ,pmo में करूँगा शिकायत अब उपेक्षा बर्दाश्त नहीं -सरपंच गौरव

भारत के हर नागरिक को छत मुहैया करवाने की बातें लगातार केंद्र सरकार और राज्य सरकार के द्वारा की जाती है लेकिन वास्तविकता इससे बहुत परे हैं अगर जमीनी हकीकत को जानने की कोशिश की जाती है तो लोगों के पास सर ढकने के लिए मकान भी नहीं है और योजनाएं जो केंद्र सरकार और राज्य सरकार चाहे वह इंदिरा आवास की बात करें प्रधानमंत्री आवास योजना की बात करें और जो मोदी सरकार का 2022 का लक्ष्य है कि भारत का कोई भी नागरिक बिना छत के नहीं रहेगा उस की जमीनी हकीकत हम आपको दिखा रहे हैं नया रायपुर डेवलपमेंट अथॉरिटी जो एक सुंदर विकसित राजधानी बनाने के लिए देश और विदेश में मशहूर हो रहा है उसी के एक गांव पोता जो मंत्रालय से महज 5 किलोमीटर की दूरी में है आधारशिला रखे जाने वाला गांव पोता आज अपनी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है अगर गांव के नागरिक बीमार हो जाते हैं तो उनका प्राथमिक इलाज कराने के लिए भी ना तो वहां स्वास्थ्य केंद्र है और ना ही कोई वैकल्पिक व्यवस्था सड़क के नाम पर सिर्फ गड्ढे ही वहां पाए जाते हैं पानी की किल्लत है लोगों को कई किलोमीटर दूर से पीने के योग्य पानी भर के लाना पड़ता है आईआईएस यूनिवर्सिटी जिस के प्रांगण में है आज अपनी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहा है गांव पोता, यहां के सरपंच जिन्होंने अपना पदभार फरवरी में ग्रहण किया है गौरव शर्मा जो एक पढ़े-लिखे गांव के व्यक्ति हैं युवा है उन्होंने बताया कि मेरे सरपंच बनने के बाद आप यकीन नहीं मानेंगे शासन प्रशासन स्तर से लेकर प्रशासनिक अमले तक मैंने गुहार लगाई है पोता के नागरिकों को कम से कम मूलभूत सुविधाएं तो दी जाएं लेकिन बड़े दुर्भाग्य के साथ मुझे कहना पड़ रहा है कि आज सातवां माह उपरांत भी किसी भी प्रकार की सुविधा एनआरडीए के द्वारा प्रदान नहीं की गई है पोता राज्य का एकमात्र ऐसा गांव है जो 3 जनपदों के बीच में फंसा हुआ है जमीन के काम के लिए हमें नवापारा राजिम ,रेवेन्यू डिपार्टमेंट से संबंधित काम के लिए हमें अभनपुर और पैसों के लिए आरंग ब्लॉक का मुंह ताकना पड़ता है जिसके कारण छोटे-छोटे कामों के लिए भी हमें दिक्कतों का सामना करना पड़ता है और मैं आपके चैनल के माध्यम से छत्तीसगढ़ सरकार को आगाह करता हूं कि यदि मेरा काम या मेरे निवेदन पर त्वरित कार्रवाई नहीं की गई और समस्याओं का निराकरण नहीं किया गया तो अब एक ही दरवाजा मेरे लिए बचा हुआ है मैं प्रधानमंत्री ऑफिस दिल्ली ने इसकी शिकायत करूंगा और राष्ट्रपति महोदय भारत सरकार से भी लिखित में निवेदन करके अपने कार्यों को इतिश्री नहीं नहीं करूंगा अगर फिर भी मेरा काम नहीं होता है तो सड़क की लड़ाई लड़ने के लिए हम ग्राम पंचायत के लोग मजबूर हैं अब भेदभाव नहीं चलेगा ।

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