एनआरडीए के बेरुखी का शिकार होता नया रायपुर का एक गांव खंडवा, बेरुखी इतनी कि वह अपनी मूलभूत सुविधाओं से भी वंचित है राज्य शासन के किसी भी योजना का लाभ ग्राम वासियों को नहीं मिल पा रहा है भूपेश सरकार की महत्वकांक्षी योजना जोकि गौठान से संबंधित है उसके लिए भी ग्रामीणों में रोष व्याप्त है और दुखी हो कर वह कह रहे हैं की गोबर में भी भेदभाव हमारा गोबर गोबर नहीं है क्या हम गोबर को फेंक दें हम छत्तीसगढ़ राज्य के निवासी नहीं है यह सारी बातें इसलिए कहीं जा रही हैं क्योंकि शासन की योजनाओं का जो लाभ ग्राम वासियों को मिलना चाहिए उससे वह वंचित है जमीनी हकीकत जानने के लिए जब हमने गांव में प्रवेश किया और देखा तो यह सारी बातें यथावत दिखाई दी सरपंच एस राम से जब मुलाकात हुई तो उन्होंने बड़े गुस्से में एनआरडीए के बारे में बताया कि ऑफिस जाने से ना तो कोई ठीक से बात करता है ना कोई सम्मानजनक उत्तर मिल पाता है छोटी-छोटी बातों के लिए हमें दफ्तर के चक्कर काटने पड़ रहे हैं जिसका निराकरण इन 7 महीनों में अभी तक नहीं हुआ है योजनाओं का कोई भी अता पता नहीं है दूसरे ग्राम में जो योजनाएं चल रही हैं उसको देखकर मेरे ग्रामवासी मुझे भला-बुरा कहते हैं मैं तो गलती करके सरपंच बन गया ऐसा उन्होंने दुखी भाव से कहा सरपंच ने आगे बताया कि मैं गांव के विकास के लिए सरपंच बना हूं कांग्रेस पार्टी भाजपा से मुझे कोई मतलब नहीं है मैं एक आम आदमी हूं मेरी प्राथमिकता गांव के विकास के लिए है किसी पार्टी के गुणगान गाने के लिए नहीं लेकिन हम काम ही नहीं कर पा रहे हैं।