वैश्विक बीमारी कोरोना ने जहां पूरे विश्व को द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद हिला के रख दिया है एक आम आदमी की दिनचर्या जहां रुक सी गई है और लोगों को एक अनायास डर सताने लगा है कि उनका जीवन कैसे होगा क्या वह बचेंगे क्या उनका परिवार सुरक्षित रहेगा ? ऐसे बहुत से प्रश्न है जिसे आज के आधुनिक युग में मनुष्य सोचने पर मजबूर है।
2020 के शुरूआती महीनों से ही करोना का संक्रमण पूरे विश्व में फैलने लगा और विकसित देश कहे जाने वाले विश्व की महाशक्ति अमेरिका भी अदृश्य शक्ति से निपटने में अपने आप को असहाय समझने लगा और अमूमन यही हाल सभी देशों का देखा जाने लगा शुरुआती 3 से 4 महीने लोगों ने अपने घरों में दुबक कर ही गुजारे और ईश्वर से अपने मंगलमय जीवन की या सीधे शब्दों में कहें कि अपने जीवित होने या रहने की प्रार्थना ही की । इससे हमारा भारत देश भी अछूता नहीं रहा हालांकि शुरुआती महीनों में कोरोना का संक्रमण भारत में बहुत कम नजर आ रहा था शासन प्रशासन की मुस्तैदी से ऐसा लगने लगा था कि भारत वासियों की रोग प्रतिरोधक क्षमता और सरकार की क्रियाशीलता कोरोना को मात देगी लेकिन जब विश्व के सभी देशों के साथ भारत में भी संक्रमण का स्तर अत्यधिक होने लगा मृत्यु दर भी असामान्य रूप से नजर आने लगी तब भारतवासियों में भी यह चिंता साफ दिखाई देने लगी ।
हम यह लेख आज इसलिए लिख रहे हैं ताकि लोग भारतीय संस्कृति और परंपरा जिसे भूल चुके हैं उन्हें याद करें और उसके आधार पर ही ऐसी महामारी से निपटने में सक्षम हो पाए और अपने जीवन शैली को सुधार सकें । स्वस्थ और शांत जीवन यापन कर सकें इसलिए लिख रहे हैं ।
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के निवासी नीतीश श्रीवास्तव जो कि पेशे से वास्तु विद है और जिन्होंने कोरोना पर विजय प्राप्त की है उनकी कहानी उन्हीं की जुबानी दिखा रहे हैं । बकौल श्रीवास्तव का कहना है कि कोरोनावायरस से डरने की आवश्यकता नहीं है इसका इलाज भारत की पुरानी पद्धति होम्योपैथ और प्राकृतिक चिकित्सा से संभव है उन्होंने आगे कहा कि मुझे जब संक्रमण का पता चला तो मैंने रायपुर के अग्रिम चिकित्सा संस्थान में एलोपेथी से अपना इलाज करवाया लेकिन उसका कोई भी परिणाम 10 दिनों तक मुझे प्राप्त नहीं हुआ मेरी बीमारी जस की तस बनी हुई थी उसके बाद मेरी मित्र मंडली के द्वारा मुझे होम्योपैथ चिकित्सक डॉ अजय तिवारी से संपर्क कराया गया और उनके द्वारा दिए गए दिशा निर्देशों का पालन करते हुए मैं महज तीन दिन में पूर्ण रूप से स्वस्थ हो गया मैं अपनी आपबीती आप लोगों से इसलिए शेयर कर रहा हूं ताकि आप लोग भी इस पैथी का उपयोग कर अपने जीवन को स्वस्थ बनाए रखने में कारगर सिद्ध हों हमारी प्राचीन पद्धति मैं कोरोनावायरस से लड़ने की पूर्ण रूप से क्षमता है
बहरहाल संक्रमण का खतरा भले ही आज हमारे बीच में है और हम उसे चिंतित भी हैं कि कैसे अपने आपको और अपने परिवार को सुरक्षित रखें लेकिन कहीं ना कहीं इसके दुष्परिणामों को झेलने के लिए जिम्मेदार भी हम खुद ही हैं क्योंकि आधुनिकता की दौड़ में हमने अपने पुराने चीजों को पूर्ण रूप से खत्म कर दिया है या यह कहें की आधुनिक जीवन शैली की दौड़ में हम उन सभी महत्वपूर्ण चीजों को काफी पीछे छोड़ आए हैं अब वह समय आ गया है कि हम उन सभी चीजों को जिसे हम प्राचीन मानते हैं और उसका पालन करने में थोड़ा कतराते हैं उस संस्कृति की ओर हम वापस लौटें तभी हम इस प्रकार के अदृश्य चीजों से ।