अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति और 500 से अधिक किसान संगठनों के साझे मोर्चे संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर छत्तीसगढ़ में भी छत्तीसगढ़ किसान आंदोलन और छत्तीसगढ़ किसान सभा सहित इससे जुड़े अन्य घटक संगठन 15 मार्च को कॉर्पोरेट विरोधी दिवस मनाएंगे और महंगाई और निजीकरण के खिलाफ जिलों और ब्लॉकों में प्रशासन को ज्ञापन सौंपेंगे।
यह जानकारी एक बयान में छत्तीसगढ़ किसान आंदोलन के संयोजक सुदेश टीकम, आलोक शुक्ला, संजय पराते, नंद कश्यप, रमाकांत बंजारे आदि ने दी। उन्होंने बताया कि इस दिन प्रदेश में कुछ स्थानों पर मजदूर संगठनों के साथ मिलकर रेलवे स्टेशनों पर भी निजीकरण के खिलाफ प्रदर्शन किये जायेंगे। इन ज्ञापनों और प्रदर्शनों के जरिये कृषि विरोधी कानून वापस लेने, सी-2 लागत का डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य देने का कानून बनाने, डीजल, पेट्रोल, रसोई गैस व अन्य आवश्यक वस्तुओं के बढ़ रहे दामों को रोकने और रेलवे, बैंक, बीमा सहित अन्य सार्वजनिक उद्योगों के निजीकरण पर रोक लगाने की मांग की जाएगी।
उन्होंने कहा है कि हमारे देश के किसान न केवल अपने जीवन-अस्तित्व और खेती-किसानी को बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं, बल्कि वे देश की खाद्यान्न सुरक्षा, सार्वजनिक वितरण प्रणाली तथा संप्रभुता की रक्षा के लिए भी लड़ रहे हैं। उनका संघर्ष उस समूची अर्थव्यवस्था के कारपोरेटीकरण के खिलाफ भी हैं, जो नागरिकों के अधिकारों और उनकी आजीविका को तबाह कर देगा। इसलिए देश का किसान आंदोलन इन काले कानूनों की वापसी के लिए खंदक की लड़ाई लड़ रहा है और अपनी अटूट एकता के बल पर इस आंदोलन को तोड़ने की सरकार की साजिशों को मात दे रहा है। उन्होंने बताया कि इस देशव्यापी आंदोलन को तेज करने के लिए पूरे प्रदेश में विभिन्न स्थानों पर किसान पंचायतें आयोजित करने का सिलसिला भी शुरू किया जा रहा है।
(सुदेश टीकम, आलोक शुक्ला, संजय पराते आदि द्वारा जारी)