प्रदेश सरपंच संघ की बैठक संपन्न, बैठक में लिए गए बहुत से निर्णय, सरकार को स्मरण पत्र देने के बाद आर पार की लड़ाई के मूड में पंचायत प्रतिनिधि,,,,,

26-10-2021 बयूरो

त्रिस्तरीय पंचायती राज की व्यवस्था के अंतर्गत 2 वर्ष पहले चुने हुए प्रतिनिधियों की पहली बैठक आज प्रदेश सरपंच संघ के तत्वाधान में चंद्राकर भवन रायपुर में संपन्न हुई .। जिसमें छत्तीसगढ़ के पांचों संभाग के प्रतिनिधियों ने बड़ी संख्या में हिस्सा लिया और 2 वर्ष बीत जाने के बाद पंचायत की व्यवस्था या यह कहें कि पंचायत की स्थिति के बारे में चर्चा की गई । भूपेश बघेल के नेतृत्व में जब से प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी है और कांग्रेस को सत्ता में लाने के लिए जो ग्रामीण प्रतिनिधियों ने कांग्रेस की मदद की है और कांग्रेस से उनकी जो अपेक्षा थी वह 3 वर्ष होने पर भी पूरी होते नजर नहीं आ रही है । इससे आहत पंचायत प्रतिनिधियों ने प्रदेश सरपंच संघ के तत्वाधान में आयोजित बैठक में बहुत से निर्णय लिए और साफ तौर पर यह कहा कि ढाई दशकों तक चलने वाली सीइओ प्रथा का अंत होना चाहिए ,ब्यूरोक्रेसी को अपने हद में रहना चाहिए, पंचायतों को स्वतंत्र रखा जाए और पंचायती राज व्यवस्था की शक्तियां जो संविधान के द्वारा प्रदत्त की गई है उसके अंतर्गत पंचायतों का कार्य पंचायत प्रतिनिधियों के द्वारा कराया जाए ।

सरपंच संघ के प्रदेश अध्यक्ष गोपाल धीवर ने बैठक के बाद मीडिया से मुखातिब होते हुए कहा कि हम सरकार को आगह करना चाहते हैं की स्वायत्तशासी पंचायत व्यवस्था जो महात्मा गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की सोच थी, जिसके चलते भारत देश में त्रिस्तरीय पंचायत व्यवस्था का उद्गम हुआ उसी के अनुरूप संविधान प्रदत्त शक्तियों के साथ पंचायत प्रतिनिधियों को काम करने की छूट देनी चाहिए और मैं साफ तौर पर शासन प्रशासन को आगाह करना चाहता हूं कि किसी भी प्रकार की ब्यूरोक्रेसी और अफसरशाही अब पंचायतों में नहीं चलेगी जो कमीशन खोरी लगातार छत्तीसगढ़ में देखने को मिल रही है हम सब ने एकजुट होते हुए यह निर्णय लिया है कि हम इसके सहभागी नहीं बनेंगे और हमारी 8 सूत्री मांगों पर सरकार को तत्काल संज्ञानमें लेकर पूरा करना चाहिए यदि तय समय सीमा के अंतर्गत यह सब कार्य नहीं होते हैं तो हम आर पार की लड़ाई लड़ने के लिए मजबूर होंगे और जिसकी समस्त जिम्मेदारी शासन की होगी ।

बस्तर सरपंच संघ के अध्यक्ष ने कहा कि आज सरपंच खास तौर पर बस्तर में बहुत ज्यादा प्रताड़ित है वह अंदर वालों से भी परेशान हैं और बाहर वाले भी उस से जीने नहीं दे रहे हैं हमारे ही एक नारायणपुर के साथी सरपंच ने पुलिस से प्रताड़ित होकर आत्महत्या कर ली है बस्तर के समस्त सरपंच आज दोराहे पर खड़े हैं उन्हें ना तो शासन प्रशासन और जनप्रतिनिधियों का सहयोग प्राप्त हो रहा है और ना ही किसी प्रकार के कार्य को क्रियान्वित कर पा रहे हैं

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *