बस्तर के शेरनी ने संसद में आदिवासियों के उत्थान ,बेरोज़गारी, किसानों की आमदनी, अनुसूचित जनजाति को लेकर केन्द्र सरकार को घेरा

रायपुर 16/03/2022 सांसद फूलोदेवी नेताम ने राज्यसभा में अपने मेडेन स्पीच में कहा कि-
• आदिवासी समुदाय को आबादी के हिसाब से बजट में 8.6 प्रतिशत हिस्सेदारी दी जाए।
• आदिवासियों के लिए आवंटित बजट लक्षित योजनाओं खर्च हो।
• आदिवासियों के उत्थान के लिए बनी योजनाओं की 100 प्रतिशत राशि खर्च की जाए।
• किसानों की आमदनी बढाने के लिए पूरे देश में गौठान योजना लागू की जाए।
श्रीमती नेताम ने कहा कि यह बीजेपी सरकार का नौवां बजट है। पिछले आठ सालों में कई बजट पेश हुए हैं। सबका बजट, विकास का बजट, बेहतर भारत का बजट, नए भारत का बजट, जन-जन का बजट और पिछले साल आत्मनिर्भर भारत का बजट। लेकिन मैं सरकार से पूछना चाहती हूं कि सुंदर शब्दों वाले ये बजट क्या देश के सबसे पिछले आदिवासी समुदायों की आकांक्षाओं पर खरे उतरे हैं?

श्रीमती नेताम ने कहा कि अनुसूचित जनजाति के 35.65 प्रतिशत लोग भूमिहीन व मजदूरी पर निर्भर है। क्या इनका भला हो पाया है? अनुसूचित जनजातियों के 74.1 प्रतिशत लोग बेहद गरीब हैं। क्या ये गरीबी रेखा से उपर उठ पाए हैं? जनगणना 2011 के अनुसार 86.53 प्रतिशत आदिवासियों की आमदनी 5 हजार से कम थी। अगर आज गणना की जाए तो इनमें से अधिकांश तो 5 हजार की नौकरी भी नहीं कर रहे हैं। आज बेरोजगारी चरम सीमा पर है।

श्रीमती नेताम ने कहा कि वित्तीय वर्ष 2022-23 में अनुसूचित जनजातियों के कुल 89265.12 करोड का बजट आवंटित किया गया है और उसमें जनजाति कार्य मंत्रालय को मात्र 8451.92 करोड रूपए यानि 9.46 प्रतिशत आवंटित हुआ है। इससे आप समझिए कि आदिवासियों को जो बजट मिला है उसका 10 प्रतिशत भी सीधे तौर पर उनके लिए बनी योजनाओं में नहीं मिल रहा। तो बाकी 90.54 प्रतिशत बजट ऐसी योजनाओं में दिया जा रहा है जो सब लोगों के लिए बनी है। जैसे:-
• प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि: अब भारत में सभी जातियों के लोग किसानी करते हैं, इस स्कीम में अनुसूचित जनजाति डवलपमेंट प्लान का 5876 करोड रूपया दिया गया है।
• पानी की पाईप लाईन बिछती है तो सबके लिए, सडक बनती है तो सबके लिए, राशन बंटता है तो सभी गरीबों को। लेकिन इन सब योजनाओं में अनुसूचित जनजाति डवलपमेंट प्लान का भी पैसा डाल दिया जाता है। ऐसा क्यों?

श्रीमती नेताम ने कहा कि जब पैसा हम आदिवासियों के नाम का है तो उसे सब में क्यों बांटा जा रहा है। आदिवासी समुदायों के विकास के लिए लक्षित योजनाओं में ही यह धन राषि खर्च होनी चाहिए।

सरकार अपनी वाह-वाही कर रही है कि हमने आदिवासियों को 927 करोड रूपए बढाकर बजट दिया। लेकिन आंकडों को देंखेंगे तो पता लगेगा कि पिछले बजट को संशोधित करके 1343.57 करोड की कटौती कर दी गई थी। यही हाल इस बजट का भी हो जाएगा।

बजट में कटौती ऐसे समय की गई जब पूरा देश कोरोना से पीडित था। कोरोना का सबसे बडा प्रभाव तो गरीब, आदिवासी पर ही तो हुआ है और आपने जो दिया उसे दूसरे हाथ से वापस ले लिया।

श्रीमती नेताम ने कहा बडा दुर्भाग्य है कि आदिवासियों का हक मारा जाता है और सरकार अपनी वाहवाही लूटने में लगी रहती है। आदिवासी कार्य मंत्रालय बजट बढाने की बात तो कहता है लेकिन कोई नई योजना नहीं ले कर आया। कई योजनाओं में कटौती कर दी गई है। ट्राईफेड और एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय के लिए कुछ नहीं दिया गया। राज्य सरकारों को सहायता अनुदान में 59 करोड की कटौती की गई है। इस योजना में कटौती का सबसे ज्यादा नुकसान तो हमारे आदिवासी राज्यों को होगा, छत्तीसगढ को होगा।

श्रीमती नेताम ने कहा कि आदिवासी समुदायों व अन्य समुदायों के ’मानव विकास सूचकांक’ के बीच बडा अन्तर है। इसके कई कारण हैं जैसे:- मुख्यतः आदिवासी समुदायों के लिए आबादी के हिसाब से बजट आवंटित नहीं किया जाता और आदिवासी समुदायों के विकास के लिए लक्षित योजनाओं में बजट जारी नहीं किया जाता।

पिछले वर्ष 2021-22 में जनजातिय कार्य मंत्रालय की 18 महत्वपूर्ण योजनाओं में कुल 7484.07 करोड रूपए आवंटित किया गया लेकिन अब तक मात्र 4649.09 करोड रूपए ही जारी किया गया। मतलब 2834.98 करोड रूपए (37.88 प्रतिशत) दिए ही नहीं गए हैं। ये आंकडे मंत्रालय की वेबसाईट से ही लिए हैं। मैं अपने मन से कुछ नहीं जोड रही।

श्रीमती नेताम ने कहा कि अगर बताया जाए तो बहुत कुछ है लेकिन सरकार को मैं सुझाव देना चाहूंगी। पिछले साल दिसम्बर में जब बजट की तैयारी चल रही थी जब मैंने वित्त मंत्री जी को पत्र लिखा था। उसमें सुझाव भी दिए थे। आज सदन में पुनः मांग करती हूं।

श्रीमती नेताम ने निम्नलिखित सुझाव केन्द्र सरकार को दिए हैं:-

  1. देश की आबादी में 8.6 प्रतिशत हिस्सेदारी रखने वाले आदिवासी समुदाय के लिए आवंटित किया जाने वाला बजट जनसंख्या में हिस्सेदारी के अनुपात में आवंटित किया जाना चाहिए।
  2. अनुसूचित जनजाति के लिए आवंटित बजट लक्षित योजनाओं पर ही खर्च किया जाए।
  3. अनुसूचित जनजाति के लिए बनी योजनाओं के कार्यान्वयन के लिए आवंटित बजट की 100 प्रतिशत राषि खर्च की जाए।
  4. आज देश का किसान महंगाई से मर रहा है उसकी आमदनी तो दुगुनी नहीं हुई बल्कि कृषि लागत चार गुना हो गई है। मेरा सुझाव है कि हमारे छत्तीसगढ में गौठान योजना चलाई जा रही है। उससे किसान स्वावलम्बी हो रहे हैं। केन्द्र सरकार इस योजना को पूरे भारत में लागू करने का विचार करे जिससे किसानों की आमदनी बढेगी।

श्रीमती नेताम ने कहा कि वे आशा करती हैं कि मेरे सुझाव आपके लिए महत्वपूर्ण होंगे और सरकार इस दिशा में कार्य करने का विचार बनाएगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *