भारत सरकार के पब्लिक नोटिस के अवहेलना करके छत्तीसगढ़ में निकाला जा रहा है बेहिसाब भूमिगत पानी,,,,,,

रायपुर, *जल है तो कल है जल ही जीवन है * ऐसे स्लोगन तो हम आए दिन देखते हैं लेकिन क्या इस पर अमल कर पाते हैं क्या पानी बचाने की मुहिम मैं आम जनता शामिल है ? आज पूरे विश्व में पीने योग्य पानी की बहुत ज्यादा कमी है उसके बावजूद ना तो सरकार इस विषय में सोच रही है और ना ही आम जनमानस , ऐसे में जल शक्ति विभाग भारत सरकार ने भूमिगत जल स्रोतों को बनाये रखने और उसके रिचार्ज करने को लेकर पूरे देश में एक पब्लिक नोटिस जारी करके उन सभी से पंजीयन करने कहा ही जो भूमि गत पानी का उपयोग व्यावसायिक रूप से करते है या जिनका जल दोहन अत्यधिक मात्रा में है लेकिन सुत्रों की माने तो ना तो किसी प्रकार का पंजीयन भारत सरकार के पोर्टल में किया गया है और ना ही किसी प्रकार की इसे जरूरत समझा गया है भूजल विशेषज्ञों की माने तो रायपुर समेत छत्तीसगढ़ के कई जिले पानी के संकट से गुजर रहे हैं उसमें चाहे वह सरकारी क्षेत्र हों और या फिर निजी क्षेत्र, सभी जगह पानी की त्राहि त्राहि मची हुई है और नगरी निकाय क्षेत्रों में टैंकरों के भरोसे लोगों का जीवन यापन हो रहा है जल ही जीवन है की अवधारणा को नकारने में निजी क्षेत्र के कोलोनाइजर तो लगे ही हैं सरकारी अमला भी इसमें पीछे नहीं है यहां हम आपको बता दें की हाउसिंग बोर्ड ,नगर निगम, नगर पालिका, नगर पंचायत जैसे सरकारी महकमों को भी इसमें पंजीयन करना आवश्यक है और भारत सरकार इसे इसलिए करवा रहा है ताकि भारत सरकार को पता चल पाए कि भूजल का आहरण कितना और किस समय किया जा रहा है और उसकी तुलना में संबंधित क्षेत्र में भूजल रिचार्ज कितना हो पा रहा है ।
भूजल विशेषज्ञ के पाणिग्रही ने मीडिया से मुखातिब होते हुए कहा कि 30 जून 2022 को भारत सरकार के द्वारा जारी पब्लिक नोटिस का अंतिम पंजीयन तिथि थी लेकिन यह पोर्टल में देखने में ही पता चलेगा कि छत्तीसगढ़ के कितने लोगों ने चाहे वह निजी क्षेत्र के हो या सरकारी क्षेत्र के पंजीयन कराया गया है लेकिन आज सबसे बड़ी चिंता का विषय ग्राउंड लेवल वाटर है जिसका दोहन बेहिसाब किया जा रहा है निजी क्षेत्रों को इसमें भले ही छूट दी गई हो लेकिन जो रॉ कंस्ट्रक्शन का काम कर रहे हैं और बड़ी कॉलोनी डेवलप कर रहे हैं ऐसे कोलोनाइजर और सरकारी अमले जहां पानी का दोहन किया जाता और वितरण किया जाता है उन्हें इसमें पंजीयन कराना अति आवश्यक है और अगर ऐसा नहीं किया जाता है तो यह पूर्ण रूप से गैरकानूनी है और दंडनीय अपराध की श्रेणी में आता है इसमें कुछ अमेंडमेंट भी हो रहा है लेकिन अगर वर्तमान स्थिति की बात करें तो प्रतिदिन के हिसाब से ₹100000 की जुर्माना राशि इसमें तय की गई है

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