जलियांवाला हत्याकांड में शहीद अमर शहीदों को छत्तीसगढ़ सिक्ख काउंसिल द्वारा द्वीप जलाकर और पुष्पांजलि अर्पित कर भगत सिंह चौक में स्मरण किया गया उल्लेखनीय है की 104 वर्ष पूर्व 13 अप्रैल 1919 को जलियावाला बाग़ में हत्याकांड में हजारों निर्दोष लोगों को अंग्रेजी हुकूमत ने गोलियों से भून दिया था अवसर था बैसाखी के दिन का अमृतसर के जलियांवाला बाग में रोलेट एक्ट, अंग्रेजों की दमनकारी नीतियों के विरोध में एक सभा रखी गई, शहर में कर्फ्यू लगा हुआ था, फिर भी हजारो लोग बैसाखी के मौके पर जलियांवाला बाग में एकत्रित हो गए उसमे महिलाएं बच्चे सभी थे करीब 5,000 से ज्यादा लोग जलियांवाला बाग में इकट्ठे हुए थे। ब्रिटिश सरकार के कई अधिकारियों को यह 1857 के गदर की पुनरावृत्ति जैसी परिस्थिति लग रही थी जिसे न होने देने के लिए और कुचलने के लिए वो कुछ भी करने के लिए तैयार थे। ब्रिगेडियर जनरल रेजीनॉल्ड डायर ब्रिटिश सैनिकों को लेकर वहां पहुँच गया। उन सब के हाथों में भरी हुई राइफलें थीं। जलियावाला बाग़ से निकलने वाले एकमात्र रास्ते को घेर कर बिना कोई चेतावनी दिए निहत्थे लोगों पर गोलियाँ चलानी शुरु कर दीं। 10 मिनट में कुल 1650 राउंड गोलियां चलाई गईं भागने का कोई रास्ता नहीं था। हजारों की संख्या में गोलियों से भून दिए गए जलियांवाला बाग में स्थित कुए में सैकड़ो के कूद कर गोलियों से जान बचाने की कोशिश की लेकिन कोई नही बचा पूरा कुआ लाशों से भर गया इस नृशंस हत्याकांड की 104 वी बरसी को छत्तीसगढ़ सिक्ख काउंसिल ने स्मरण किया छत्तीसगढ़ सिक्ख काउंसिल के अमरजीत सिंह छाबड़ा ने बताया की इस अवसर पर सर्वप्रथम भगत सिंह चौक की मूर्ति की साफ सफाई की गई पानी से मूर्ति को धोया गया द्वीप, जलाकर और पुष्पांजलि अर्पित कर जलियांवाला बाग के शहीदों को नमन किया गया इस अवसर पर छत्तीसगढ़ सिक्ख काउंसिल के अमरजीत सिंह छाबड़ा, गगनदीप सिंह हंसपाल, मनदीप सिंह, दलविंदर बेदी, योगेश सैनी सुरजीत सिंह छाबड़ा, सोनू सलूजा सहित सिक्ख समाज के वरिष्ठजन उपस्थित थे
अमरजीत सिंह छाबड़ा
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