गोविंद साहू
20 साल पहले जब छत्तीसगढ़ का निर्माण किया गया तब अटल जी की सोच थी कि छोटा राज्य छत्तीसगढ़ जो कि प्रचुर मात्रा में खनिज संपदा से ओतप्रोत है और इसका सर्वागीण विकास अलग राज्य बनने से ही होगा लेकिन इस सकारात्मक सोच का नकारात्मक प्रभाव ही छत्तीसगढ़ की जनता को भोगना पड़ा इस युवा छत्तीसगढ़ में सिर्फ और सिर्फ लूट खसोट,अनियमिता और भ्र्ष्टाचार से जनता आज झूझ रही है ताजा मामला 5वी अनुसूची के अंतर्गत आदिवासी बहुल क्षेत्र नगरी नगर पंचायत का है जिसके निर्माण होने के बाद नगर पंचायत के अधिकारियों, कर्मचारियों और क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों के द्वारा व्यापक भ्रष्टाचार ही किया गया इनकी हिम्मत इतनी की आम आदमी को कीड़े मकोड़े से ज्यादा कुछ नहीं समझते स्थानीय पत्रकारो को भी जानकारी देने पर हिला हवाला करना उचित जानकारी ना देना आम बात है
आखिर किसके संरक्षण में नगर पंचायत के अधिकारी इतनी हिम्मत कर रहे हैं ?
क्या जनता को उनके पैसों का हिसाब जानने का अधिकार नहीं है ?
जिस जनता के पैसों से उन्हें वेतन प्राप्त होता है क्या उनकी अवहेलना करना उचित है ?