कलेक्टर के बिगड़े बोल पत्रकारों ने विरोध में फूका पुतला
कलेक्टर को हटाने के लिए राज्यपाल के नाम सौपा गया ज्ञापन
कांकेर:- कमोबेश बस्तर की पत्रकारिता दो धारी तलवार की तरह है जहां एक ओर चुनौतियाँ तो दुसरी ओर सत्ता प्रशासन का लगातार बढ़ता खौफ….अमूमन हर नौकरशाह उस सच का गला घोट सरकार की नाकामी को उजागर होने से रोकना चाहता है जिससे उसके मान और मनी कोई कमी ना आये….चाहे उसके लिए क्यों ना उस आईना को ही चकनाचूर करना पड़े जिसे भारत के संविधान ने सच बयाँ करने का हक दे चौथा स्तभ बताया है….मौजूदा दौर में बस्तर के अधिकाँश पत्रकार उस अज्ञात से भय से खबर लिखते है की कही कल उन पर कोई फर्जी मुकदमा दर्ज कर जेल की कालकोठरी में बंद ना करवा दे सरकार….बस्तर में पत्रकारों पे लगातार हो रहे अत्याचार के कड़ी में ऐसे कई भयावह सच है जिसे कोई भी सरकार सुनने को तैयार नहीं सिर्फ उनका अपने लिए राजनैतिक छवि चमकाने का जरिया है बस्तर मीडिया….कांकेर में पत्रकारों के सडक पर आन्दोलन कर कांकेर कलेक्टर को हटाये जाने की मांग पर इस बात जानकारी है की एक बेब पोर्टल में कोरोना वायरस के लगातार बढ़ते संक्रमण पर एक खबर प्रकाशित कर चिताये जताई गई थी जिस पर कांकेर कलेक्टर कुमार लाल चौहान को वो खबर इतनी नागवार गुजरी की कलेक्टर साहब ने एक व्हाटएप ग्रुप में लिखते हुआ कहा की अगर जिले में लॉकडाउन किया जाता है तो गरीबों को खाना उसका बाप खिलायेगा….इस अमर्यादित शब्द चयन ने कांकेर के पत्रकारों उस भावना को ठेस पहुचाया दिया और जिले के लगभग 200 सौ पत्रकारों ने विरोध जताने के लिए शहर के मुख्यमार्ग मौन रैली निकाल जिला कार्यालय रोड पहुचकर विरोध में पुतला फुक राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौपा कुमार लाल चौहान को तत्काल हटाने की मांग की गई है
विवादों से गहरा नाता कांकेर कलेक्टर का
कांकेर का कलेक्टर का विवादों से गहरा नाता है उन्होंने अपने नौकरी काल में ऐसे कई कारनामे कर दिखाए है की विवाद उनका का पीछा छोड़ता ही नहीं है इसी जिले के भानुप्रतापपुर में एसडीएम रह साल 2001 में एक बुजुर्ग का अपमान कर सुर्ख़ियों में आये थे उसके बाद साल २०१९ में पीडब्ल्यूडी के आदिवासी अधिकारी को बिना गुनाह के कई घंटे कांकेर थाने बैठाने का आदेश दिया जिसके बाद आदिवासी समाज और संघ ने आन्दोलन कर विरोध जताया था….इतिहास के पन्नों में आज भी अविभाजित मध्यप्रदेश के कोंडागांव जिले के बहीगाँव की घटना आज भी अखबारों के कतरनों में आसानी से पढ़े जा सकते है जो इनके कारण से घटी थी
घटना के बाद सोशल मीडिया से दूरी
कांकेर कलेक्टर के खिलाफ पत्रकारों द्वारा विरोध जता पुतला फुके जाने की खबर जैसे ही कई अखबारों सहित सोशल मीडिया में वायरल होने लगा कांकेर कलेक्टर ने तमाम उन सोशल मीडिया ग्रुपों से खुद को अलग कर लिया जबकि जिला कार्यालय जिला पंचायत तहसील सहित कांकेर कोतवाली में कोरोना संक्रमित मरीज सामने आये है और उन जगहों आने जाने पर प्रतिबन्ध लगा सील भी लगाया जा चुका है खुद सरकार भी लगातार सोशल मीडिया के माध्यम और वर्चुवल माध्यम से कार्य सम्पादित कर रही है ऐसे में जिला कलेक्टर की सोशल मीडिया से दूरी बना लेना कई सवालों को जन्म देते है खैर कांकेर कलेक्टर द्वारा पत्रकारों की खिलाफ किये गये अमर्यादित टिप्पणी पर सरकार किस तरह का फैसला लेती ये तो आने वक्त में मालुम होगा लेकिन बस्तर के पत्रकार आज भी भूपेश सरकार उस घोषणा के लागू होने का इंतिजार कर रही है जो कांग्रेस सरकार ने सत्ता में आने से पहले पत्रकार सुरक्षा कानून लागू करने का वादा किया था