दुनिया बदली ….प्रकृति बदली…नहीं बदली तो आदिवासियों की परंपरा…

धमतरी ,,,गोविंद साहू,,,,जी हां हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि प्रकृति भी अपना रूप बदल चुकी है…. दुनिया में लोग भी बदल चुके हैं….अगर नहीं बदली है तो आदिवासियों की परंपरा… आदिवासी समाज में पुरातन काल से परंपरा चलते आ रही है कि व्यक्ति अपने जीवन काल में जो भी कर्म करता चला आ रहा है चाहे अगर वो किसान हो.. बढ़ई हो..या वह ड्राइवर है तो उसके मृत्यु के पश्चात परंपरागत तरिके से उनका दाह संस्कार कर दिया जाता है.. फिर उनकी दाह स्थल पर मठ का निर्माण किया जाता है… और उस मठ में जो भी वोअपने जीवन काल में कर्म किया है….वैसे ही उनकी आकृति कर्म अनुसार उनके मठ में बना दी जाती है….हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए जिस परमात्मा ने हमें भेजा है इस धरती पर, उस परमात्मा को हमें धन्यवाद देना चाहिए…. और अपने जीवन को सफल बनाने के लिए अच्छे कर्म भी करना चाहिए….ताकी उन्हें लोग,समाज जाने…स्वर्गवास के पश्चात आदिवासी उनके मठ पर उनकी कर्म अनुसार आकृति को ऊकेर कर लोगों तक संदेश को पहुंचाते हैं..ताकि आने वाले जो पीढ़ी है वो जान सके कि उनके पिता क्या करते थे….और उनके संतान यानि पोता.. पोती अपने पूर्वजो क़ो याद कर सके.. और उनका कर्म क्या था…इस खबर से हमें आज सीख जाना चाहिए की हमें अपने कर्मो से अपने बच्चे और आने वाले पीढ़ी क़ो संदेश दे…हम यह कहना चाहते हैं हर इंसान को अच्छे कर्म करना चाहिए ताकि उनके पुत्र और उनके नाती पंथी लोग उनके कर्मों से लोगों के अपनी अच्छे कर्मो से पहचाना जा सके. ताकि बच्चे अपने दोस्तों क़ो बता सके की मेरे पूर्वज का भी एक इतिहास है हमारे परिवार भी एक गौरव शाली इतिहास है !

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *