सालो से कोटवार दे रहे हैं कलेक्टर को ज्ञापन ,लेकिन कोई उनकी सुनने वाला नहीं

सालो से बार बार कोटवारों ने कलेक्टर को दे रहे है ज्ञापन..

आजादी से पूर्व कोटवारों ने पीढ़ी दर पीढ़ी नियमित रूप से अपनी सेवा देते आ रहे हैं जिसके तहत कोटवारों को शासन के सभी विभागों की चाकरी करनी पड़ती है 24 घंटे के पहरे शासन के अंतिम व महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में कार्यरत कोटवार उनका परिवार अपने उपेक्षित महसूस कर रहा है ,कि उन्हें शासकीय कर्मचारी का दर्जा प्राप्त दिया जाए, वही कोटवारों की सेवाओं के एवज में उन्हें परिश्रमिक दिया जाता है वह इस महंगाई के अनुपात में नहीं के बराबर है शासन की सभी जन कल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में कोटवारों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है परंतु उनमें से किसी भी योजनाओं का लाभ नहीं दिया जा रहा है ,वही दैनिक वेतन भोगी अकस्मिक निधि से वेतन आयोगों की सिफारिश पाने वाले कार्यभारित कर्मचारियों शिक्षाकर्मियों आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के नियमितीकरण एवं वेतन का लाभ दिए जाने की कवायद चल रही है ,जिसके लिए पेंशन तक देने की योजना बनाई जा रही है परंतु सैकड़ों वर्ष पूर्व से पदस्थ कोटवारों को अभी तक नियमित शासकीय कर्मचारी का दर्जा नहीं मिल पाया ,कोटवार सैकड़ों वर्ष पूर्व से पदस्थ है कोटवारों का दर्द अब तक शासन नहीं समझ पाया, आपको बता दे कि कोटवारों को पंद्रह सौ से तीन हजार रु. मान दे दिया जाता है जिसमें बच्चों की पढ़ाई घर के खर्चे उनकी गुजरा नही हो पाता ,जिसके चलते शासन से अपनी समस्याओं की गुहार लगा रहे है ।

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