छत्तीसगढ़ की राजनीति में वैसे तो कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी का ही नाम लिया जाता है लेकिन राज्य बनने के बाद जातिगत समीकरण भी तेजी से उभर कर आ गए हैं आदिवासी राज्य कहा जाने वाला छत्तीसगढ़ जहां एक और बुलंदियों को छू रहा है और विकास देखने को मिल रहा है वही ओबीसी वर्ग भी जनसंख्या के आधार पर जो छत्तीसगढ़ में 52 परसेंट है।
उन्होंने भी जातिगत समीकरण के तहत राजनीति में जोर लगाना शुरू कर दिया है हम बात कर रहे हैं छत्तीसगढ़ राज्य के प्रतिष्ठित चुनाव जोकि मनवा कुर्मी क्षत्रिय समाज का होने वाला है और जिस का मतदान 31 अक्टूबर को छत्तीसगढ़ के प्रत्येक ग्राम पंचायत में होना है यहां यह बताना भी लाजमी होगा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी इसी समाज से आते हैं और उनका समर्थित उम्मीदवार भी केंद्रीय अध्यक्ष की भूमिका के लिए लड़ रहा है अगर स्थिति परिस्थिति को देखा जाए तो रायपुर जिले के वरिष्ठ कांग्रेसी और कुर्मी समाज के प्रतिष्ठित व्यक्ति चोवाराम वर्मा जो तिल्दा राज में पहले भी कुर्मी समाज का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं उनकी स्थिति प्रतिद्वंद्वियों से बेहतर नजर आ रही है यह तो देखने वाली बात होगी की 31 अक्टूबर को मतदाताओं का रुझान किस तरफ जाता है और यह बहुप्रतीक्षित कुर्मी क्षत्रिय समाज के चुनाव में जीत का सहारा किसके सिर पर बंधता है ।